NBFC संकट ने रियल एस्टेट के लिए साल 2018 में खड़ी की सबसे अधिक परेशानी
नर्इ दिल्ली
गत पांच सालों से रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ खास तेजी देखने को नहीं मिली है। इस सेक्टर के लिए बीते दो साल सबसे परेशानियों भरा रहा है। पहले नोटबंदी, फिर रियल एस्टेट एक्ट (रेरा 2016) आैर अंत में वस्तु एवं सेवा कर ने रियल एस्टेट सेक्टर की कमर तोड़ कर रख दी है। साल 2018 की शुरुआत में इस सेक्टर को उम्मीद था कि बुरे दिन खत्म हो गए हैं आैर आगे इसमें सुधार देखने को मिलेगा। अधिकतर स्टेकहोल्डर्स का मानना था कि साल 2018 रियल एस्टेट सेक्टर के पुनर्जीवन का साल होगा।
2019 में प्रोजेक्ट डीलिवरी को लेकर हो सकती है देरी
खास बात है कि साल के पहले तीन तिमाहियों में सभी स्टेकहोल्डर्स काफी आशावादी नजर आए। उनका मानना है कि इस साल देश के रियल एस्टेट सेक्टर में अब चढ़ाव देखने को मिलेगा। गत अक्टूबर माह में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के संकट ने इन स्टेकहोल्डर्स की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। इस संकट से देश के डेवलपर्स आैर रियल सेक्टर के लिए सबसे बड़ी मुसीबत खड़ी हो गर्इ है। एक तरफ कीमत की बात करें तो इसमें स्थिरता रह सकती है लेकिन साल 2019 में प्रोजेक्ट्स के एग्जीक्युशन आैर डिलीवरी पर भी असर देखने को मिलेगा।
महत्पूर्ण रहे अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम्स
बीते कुछ सालों में इन्वेन्टरी में इजाफा आैर खरीदारों के खासे कमी के बाद डेवलपर्स के लिए समस्या खड़ी हुर्इ। हालांकि उन्होंने बहुत जल्द यह बात समझ लिया कि सबसे पहले मौजूदा प्रोजेक्ट्स को पूरा किया जाए आैर फिर बाद में इसे नए प्रोजेक्ट्स को लाॅन्च किया जाएगा। एक खास बात यह भी है कि नए प्रोजेक्ट्स घर खरीदारों के हिसाब से ही तैयार किए जाएं। रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े जानकारों का कहना है कि अफोर्डेबेल हासिंग सेग्मेंट के लिए साल 2018 कर्इ मायनों में महत्वपूर्ण रहा है। इस साल की खास बात यह है कि अधिकांशतः प्रोजेक्ट लाॅन्चिंग अफोर्डेबल हाउसिंग सेग्मेंट में ही देखने को मिली है। घर खरीदारों की तरफ से डिमांड ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री अवास योजना (पीएफएवार्इ) के तहत मिलने वाली कर्इ सुविधाएं भी खरीदरों को अफोर्डेबल हाउसिंग सेग्मेंट की तरफ आकर्षित कर रहा है।
नहीं बढ़ा सेल्स आैर डिमांड
बीते सालों की तुलना में 2018 रियल एस्टेट सेक्टर के लिए सकारात्मक रहा है लेकिन इसके बावजूद भी सेल्स आैर डिमांड में खासा बढ़ोतरी नहीं देखने को मिली है। इसके उपर साल के अंत में एक आैर वित्तीय संकट ने इस सेक्टर पर तलवार लटका दी है। रियल एस्टेट बाजार में लीड करना अब एक कठिन दौर में पहुंच चुका है। एनबीएफसी आैर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) द्वारा सतर्कतपूर्ण कर्ज देना सबसे बड़ी परेशानी बनते हुए दिखार्इ दे रहा है। इस वजह से रियल एस्टेट सेक्टर में फंडिंग में कमी देखने को मिली है।