NIA की पूछताछ में खुलासाः लखनऊ की महिला ने टेरर फंडिंग को बेटे के साथ मिलकर बेचे थे अपने गहने
लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वजीरगंज स्थित दो मंजिला मकान कोई नहीं जानता था। अचानक बुधवार को यहां पड़े नैशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की टीम के छापे के बाद यह घर सुर्खियों में आ गया। यहां रहने वाले मां-बेटे को हिरासत में लिया गया और घंटों कड़ी पूछताछ की गई। खुलासा हुआ कि आईएस जैसा गैंग हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम (एचयूएचआई) बनाकर देश के कई इलाकों में सीरियल ब्लास्ट और आत्मघाती हमलों के लिए इन दोनों मां-बेटे ने घर से जेवर चुराकर फंड जुटाया था।
नोएडा की एक नामी यूनिवर्सिटी से सिविल इंजिनियरिंग कर रहे अनस यूनुस के बारे में पता चला है कि उसने घर से करीब 5 लाख रुपये के गहने चोरी करके लखनऊ और दूसरी जगहों पर बेचे थे। इन पैसों से अमरोहा में वेल्डिंग की दुकान चलाने वाले सईद ने देसी रॉकेट लॉन्चर तैयार कर बाकी चीजों का इंतजाम किया था। लखनऊ की इस महिला और उसके बेटे ने 2.75 लाख के गहने बेच कर पैसे जुटाए थे।
कमरे में मिले अहम दस्तावेज
अमरोहा, हापुड़ और मेरठ में छापेमारी के साथ ही एनआईए की टीम ने बुधवार सुबह करीब चार बजे वजीरगंज के नबीउल्ला रोड स्थित अहमद मंजिल को घेर लिया। एटीएस और पुलिस की टीमें भी उनके साथ थीं। एनआईए ने अहमद मंजिल में रहने वाले तीन भाइयों में से एक की पत्नी और बेटे के कमरों की तलाशी ली। इस दौरान वहां मिले दो लैपटॉप, महिला और उसके बेटे के मोबाइल फोन एनआईए ने अपने कब्जे में लेकर उनका डेटा ट्रांसफर किया। साथ ही कई दस्तावेज भी कब्जे में ले लिए।
जेवर बेचकर अमरोहा भेजे पौने तीन लाख रुपये
एनआईए की शुरुआती पूछताछ में सामने आया है कि महिला ने अकबरी गेट स्थित जमजम जूलर्स को कुछ समय पहले करीब पौने तीन लाख रुपये के जेवर बेचे थे। जेवर बेचकर मिली रकम उसने एक व्यक्ति के जरिए अमरोहा भिजवाई थी। एनआईए रकम ले जाने वाले शख्स को तलाश रही है। टीम महिला को लेकर अकबरी गेट स्थित जमजम जूलर्स के यहां भी गई। दुकान के मालिक को नक्खास चौकी में बुलाकर महिला द्वारा जेवर बेचे जाने की पुष्टि भी की गई। इसके बाद एनआईए की टीम महिला, उसके बड़े बेटे और पति को साथ लेकर चली गई।
चैटिंग के जरिए जुड़े
आतंकी संगठन हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम ने वजीरगंज निवासी इन मां-बेटे को फेसबुक और वॉटसऐप के जरिए खुद से जोड़ा। जानकारी के मुताबिक फेसबुक से संपर्क में आने के बाद हैंडलर की तरफ से मां-बेटे को जेहादी साहित्य, विडियो व अन्य सामग्री भेजी जाने लगी। इसी उकसावे में आकर मां-बेटे को फंडिंग के लिए तैयार हुए। महिला के ससुरालवाले भी उसके दिन भर फेसबुक व चैट में व्यस्त रहने पर नाराजगी जाहिर करते थे। लेकिन उन्हें इल्म नहीं था कि वह आतंकी संगठनों के संपर्क में है।
10-10 दिन तक कमरे में बंद रहते थे
एनआईए की पूछताछ के दौरान महिला के घरवालों ने बताया कि मां और उसका बड़ा बेटा ज्यादातर अपने कमरे में ही रहते थे। उनका ज्यादा से ज्यादा समय फेसबुक और मोबाइल फोन पर ही बीता करता था। एनआईए के सामने ही घरवालों ने बताया कि कभी-कभी 10-10 दिन तक ये लोग न नीचे उतरते थे और न ही किसी से मिलते-जुलते थे।
नामी स्कूल से नाम कटवाया, मदरसे में डाला
महिला के देवर ने बताया कि उसका भतीजा पहले शहर के नामी स्कूल में पढ़ता था। आठवीं तक उसकी पढ़ाई वहीं हुई। जब वह आठवीं में था तो भाभी के कहने पर भाई ने उसका नाम वहां से कटवाकर बिल्लौचपुरा स्थित नदवा के मदरसा मजहरूल इस्लाम में उसका नाम लिखवा दिया। वह वहां से इंटरमीडिएट के साथ इल्मियत की पढ़ाई कर रहा है।