अधर में स्मार्ट सिटी का सपना, करोड़ों खर्च, सिर्फ कागजों में हुए काम
जबलपुर
केंद्र की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार स्मार्ट सिटी योजना, जबलपुर में अधिकारियों की मनमानियों का शिकार बनकर रह गई है| जबलपुर स्मार्ट सिटी ने बीते 3 सालों में, 43 प्रोजेक्ट्स पर सौ करोड़ रुपयों से ज्यादा की राशि खर्च की लेकिन ज़मीन पर सिर्फ 5 काम ही पूरे हो पाए| हद तो ये है कि जबलपुर स्मार्ट सिटी ने सिर्फ प्रचार प्रसार में ही 6 करोड़ यानि रोजाना 56 हज़ार रुपयों से ज्यादा की राशि फूंक दी| अब कांग्रेस स्मार्ट सिटी के कारनामों की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही है|
साल 2015 में जब जबलपुर को मोदी सरकार की पहली दस स्मार्ट सिटी में चुना गया था तो लोगों की खुशियों का ठिकाना नहीं था... केन्द्र के साथ राज्य सरकार और जबलपुर नगरनिगम ने भी जबलपुर को शानदार स्मार्ट सिटी के रुप में विकसित करने के ख़्वाब दिखाए थे लेकिन 3 साल से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी ज़मीन पर कुछ ख़ास नज़र नहीं आता... सूचना के अधिकार से मिली जानकारी बताती है कि जबलपुर स्मार्ट सिटी कंपनी को उसके गठन के बाद से कुल 396 करोड़ रुपयों की राशि दी गई है.. साल 2016 से 2018 तक जबलपुर स्मार्ट सिटी को केन्द्र सरकार से 196 करोड़ जबकि राज्य सरकार से 200 करोड़ की राशि मिली... इनमें से 100 करोड़ रुपए स्मार्ट सिटी कंपनी ने शहर विकास के 43 प्रोजेक्ट्स पर खर्च भी कर दिए लेकिन ज़मीन पर सिर्फ 5 काम ही पूरे हो पाए... सूचना के अधिकार से मिली विकासकार्यों की ये फेहरिस्त बताती है कि शहर में दो मल्टीलेवल पार्किंग सहित मानस भवन और गुलौआ ताल के विकासकार्यों के अलावा स्मार्टसिटी का कोई भी बड़ा काम अब तक पूरा नहीं हो पाया... हद तो ये है कि स्मार्ट सिटी ने बीते तीन सालों में अपने प्रचार प्रसार में ही 6 करोड़ 19 लाख रुपयों की राशि खर्च कर दी... इनमें स्मार्ट सिटी कंपनी ने विज्ञापनों के अलावा शहर भर में आऊटडोर पब्लिसिटी और स्वच्छता अभियान की कैंपेनिंग के नाम पर आयोजित रैलियों और दौरों में पानी की तरह पैसा बहाया... स्मार्ट सिटी के मूल विकास कार्य जब 100 करोड़ खर्च के बाद भी अधूरे हैं तो कांग्रेस इसमें बड़ा घोटाला बताकर उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही है...स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट शुरु होने के बाद जबलपुर नगर निगम में शायद ही सदन की कोई बैठक बिना हंगामे के गुज़री... सदन की लगभग हर बैठक में विपक्षी कांग्रेस ने स्मार्ट सिटी कंपनी के कामकाज पर सवाल उठाए और सत्ता पक्ष बचाव करता रहा... अब भी जबलपुर की महापौर का कहना है कि प्रचार प्रसार में राशि, जरुरत के हिसाब से ही खर्च की गई है और आने वाले वक्त में स्मार्ट सिटी के विकास जल्द दिखने लगेंगे.....स्मार्ट सिटी कंपनी ने भले नए नए प्रोजेक्ट्स की डीपीआर बनवाने और अपने प्रचार प्रसार में पानी की तरह पैसा बहाया हो लेकिन आज भी विकासकार्यों के बुरे हाल इस योजना को हकीकत का आईना दिखा रहे हैं.