रेप पीड़िताओं की तरह आरोपियों के भी नाम गुप्त रखे जाएं, हाईकोर्ट में याचिका
जबलपुर
हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर कर मांग की गई है कि रेप पीड़िताओं की तरह, रेप मामलों के आरोपियों के भी नाम और पहचान सार्वजनिक ना किये जाए| याचिका में मांग की गई है कि जब तक अदालतों में आरोप साबित नहीं होते हैं तब तक रेप और यौन छेड़छाड़ से जुड़े आरोपियों के नाम उजागर ना किए जाएं| याचिका में रेप केसेस के झूठे साबित होने के बढ़ते आंकड़ों का हवाला दिया गया है जिस पर हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई है|
जबलपुर हाईकोर्ट ने याचिका सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए केन्द्र और मध्यप्रदेश सरकार से जवाब मांगा है| याचिका में आईपीसी की धारा 228 ए में हुए संशोधन को चुनौती दी गई है जिसमें रेप और यौन प्रताड़ना या छेड़छाड़ की सिर्फ महिला पीड़ित का नाम सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई है| इस संशोधन को समानता के अधिकार के खिलाफ और लैंगिग आधार पर भेदभाव बताया गया है| याचिका में मी-टू कैंपेन और फिल्म डायरेक्टर मधुर भंडारकर पर दर्ज हुए रेप केस और मीडिया ट्रायल का भी हवाला दिया गया है जिसमें बाद में भंडारकर को कोर्ट ने बरी कर दिया लेकिन उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा नहीं लौटाई जा सकी|
हाईकोर्ट में ये याचिका जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर पीजी नाजपाण्डे और जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर एम ए ख़ान की ओर से दायर की गई है... याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों सहित ऐसे तमाम केसों के उदाहरण दिए गए हैं जिसमें रेप के मामलों में झूठा फंसाए जाने के बाद आरोपियों ने खुदकुशी कर ली... जबलपुर हाईकोर्ट ने याचिका पर आज हुई शुरुआती सुनवाई मे ही इसे महत्वपूर्ण माना और याचिका को विधिवत सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया... हाईकोर्ट ने अब मामले पर केन्द्र और राज्य सरकार के विधि एवं विधायी विभाग को नोटिस जारी किया है और उनका जवाब मांगा है|