कर्ज़माफ़ी की फाइल पर साइन के बाद अब नयी सरकार के सामने ये हैं चैलेंज
मंदसौर
कमलनाथ ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही किसानों की कर्ज़माफी की फाइल पर साइन किए. दूसरी फाइल कन्या विवाह की राशि की थी. कन्या विवाह की राशि 28 से बढ़ाकर 51 हज़ार रुपए कर दी गयी.
इसी के साथ कांग्रेस सरकार का कार्यकाल शुरू हो गया. सामने नयी राह और नयी चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती घोषणा पत्र जिसे कांग्रेस ने वचन पत्र का नाम दिया था, उस पर अमल की है. दूसरी बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने है. अगले 6 महीने के अंदर आम चुनाव हैं. प्रदेश में ज़्यादा से ज़्यादा लोकसभा सीट जीतना एक बड़ा चैलेंज है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं ने अपने चुनाव कैंपेन में लगातार किसानों से कर्ज़ माफ़ी का वादा किया. कहा गया था कि कांग्रेस के सत्ता में आते ही 10 दिन के भीतर कर्ज़ माफ़ कर दिया जाएगा. कांग्रेस ने 10 दिन के अंदर कर्ज़माफ़ी का वादा किया था लेकिन कुर्सी संभालते ही पहले ही दिन कमलनाथ ने किसानों का कर्ज़ माफ़ भी कर दिया.
कर्ज़माफी के लिए कमलाथ, दिग्विजय सिंह और बाकी नेताओं ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ मिलकर ब्लूप्रिंट तैयार किया है. इसमें कुछ सीनियर अधिकारियों, फायनेंस एक्सपर्ट्स से राय ली गयी. इनमें कई सीनियर आइएएस अफसर हैं तो कई पूर्व मुख्य सचिव स्तर तक के अधिकारी शामिल रहे.
चुनौती इसलिए है क्योंकि मध्यप्रदेश मौजूदा वक्त में 1.85 लाख करोड़ के कर्ज़ में डूबा हुआ है. इसी वित्तीय वर्ष में करीब 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज़ लिया जा चुका है.
जाते-जाते शिवराज सरकार ने 10 साल के लिए 800 करोड़ रुपए का नया कर्ज़ और मांगा था.ये कर्ज़ डेवलपमेंट प्रोग्राम के नाम पर लिया जा रहा था. विदा हुई सरकार नोटिफिकेशन भी जारी कर चुकी थी.
कर्ज़माफ़ी के बाद बाक़ी चुनावी घोषणाएं पूरी करने के लिए करीब 60 से 70 हज़ार करोड़ की ज़रूरत होगी. कर्ज़माफी के साथ ही 60 साल के किसानों को 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन, छोटे किसानों की बेटियों की शादी के लिए 51,000 रुपए की मदद,फूलों की खेती ,फूड प्रोसेसिंग पार्क, पान उत्पादन के लिए नया कॉरपोरेशन और अनुसंधान केंद्र बनाने का वााद भी वचन पत्र में है.
मंदसौर में जून में राहुल गांधी ने किसानों की कर्ज़माफ़ी का एलान किया था. उसके बाद से हर तरफ किसानों ने कर्ज़ चुकाना बंद कर दिया. सहकारी बैंकों की वसूली 90 फीसदी तक गिर गई. घोषणा से पहले किसान की कर्ज़ अदायगी 3 हजार करोड़ थी. जो छह महीनों में 261 करोड़ तक आ गयी.
कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में बेरोज़गार युवाओं को 4 हज़ार रुपए महीना रोज़गार भत्ता,निराश्रित महिलाओं को 300 के बजाए 1000 रुपए प्रति माह पेंशन, 12 वीं में 75% लाने वाली छात्राओं को स्कूटी देने का वादा भी किया था. स्थिति साफ है, वादे बड़े हैं और कर्ज़ का बोझ तगड़ा है.
सरकारी योजनाओं औऱ घोषणाओं के सिवाय संगठन के सामने अब सबसे बड़ा चैलैंज अपने परफॉर्मेंस में सुधार कर लोकसभा चुनाव में प्रदेश में ज़्यादा से ज़्यादा सीटें जीतने का. इस बार दिग्विजय-कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तिकड़ी ने जिस तरह एकजुट दिखाई, उसे बरकरार रखना अपने आप में कठिन है. कांग्रेस हमेशा से गुटबाज़ी के लिए जानी जाती है. विधानसभा चुनाव के दौरान इन क्षत्रपों ने ज़मीनी कार्यकर्ताओं को संदेश दिया था कि इस बार नहीं तो कभी नहीं. गुटबाज़ी, भितरघात और बगावत रोकने के लिए संदेश दिया कि हर उम्मीदवार सोनिया और राहुल गांधी का केंडिडेट है. ये मंत्र काम कर गया और कार्यकर्ता जी-जान से चुनाव अभियान में जुट गया. नतीजा सबसे सामने है.