गुरु नानक जयंती 2018: गुरु नानक देव जी से जाने क्या है मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग

गुरु नानक जयंती 2018: गुरु नानक देव जी से जाने क्या है मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग


कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्मदिवस मनाया जाता है। सिख धर्म के लोग इसे प्रकाश पर्व के रूप में बड़े धूमधाम से मानते हैं। इस दिन जगह जगह गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन किया जाता है। साथ ही अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है।

गुरु नानक देव जी ने समाज में ऊंच नीच, जाति-पाति, भेद भाव को मिटाने के लिए बहुत से कार्य किये इसलिए केवल सिख समुदाय के लोग ही नहीं बल्कि दूसरे धर्म को मानने वाले लोग भी उन्हें भगवान मानते हैं। आपको बता दें इस बार गुरु नानक जयंती 23 नवंबर, शुक्रवार को है। इस पवित्र अवसर पर आइए गुरु नानक देव जी के जीवन और उनके दिए हुए उपदेशों पर एक नज़र डालते हैं।

1469 में हुआ जन्म
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में राएभोए के तलवंडी नामक स्थान में कल्यानचंद नाम के एक किसान के घर में हुआ था। इनकी माता का नाम तृप्ता था।गुरु नानक देव जी का जन्म स्थान अब पाकिस्तान में ननकाना के नाम से जाना जाता है।

मात्र 16 वर्ष की आयु में ही इनका विवाह हो गया था। गुरु नानक देव जी के दो पुत्र थे श्रीचंद और लक्ष्मीचंद। 1507 में वे अपने उपदेशों और पवित्र विचारों को जन जन तक पहुंचाने के लिए यात्रा पर निकल पड़े थे। उसके बाद उन्होंने भारत, अफगानिस्तान, फारस आदि जैसे देशों का भ्रमण किया।

भारत को हिंदुस्तान नाम दिया
कहा जाता है कि भारत को हिंदुस्तान नाम देने वाले गुरु नानक देव जी ही थे। जब बाबर ने भारत पर हमला कर दिया था तब इन्होंने अपने भाषण में पहली बार हिंदुस्तान शब्द का ज़िक्र किया था।
प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं

गुरु पर्व के कुछ पहले से ही प्रभात फेरी निकाली जाती है। प्रभात का अर्थ होता है प्रातः यानी भोर में लगभग चार बजे के आस पास लोग इकठ्ठा होकर गली गली घूमते हैं और अपने गुरु का संदेश लोगों तक पहुंचाते हैं। इस दौरान वे भजन कीर्तन भी करते हैं। इसमें बच्चे बुजुर्ग सभी शामिल होते हैं। हालांकि प्रभात फेरी की प्रथा काफी पुरानी है लेकिन सिख धर्म में इसका महत्व अधिक है।

गुरु नानक देव जी के अनमोल वचन
1. ईश्वर एक ही है और वे हर जगह उपस्थित है।
2. ना बुरा सोचो और न ही किसी का बुरा करो।
3. सदैव ईश्वर की भक्ति में लीन रहो। तुम्हें कभी किसी चीज़ का भय नहीं रहेगा।
4. सब एक समान है चाहे वह स्त्री हो या फिर पुरुष।
5. मेहनत और ईमानदारी से कमाओ।
6. ज़रूरतमंदों की सहायता करो।
7. लोभ और लालच से दूर रहो।
8. पैसों से ज़्यादा प्रेम न करो, पैसों की जगह जेब में होती है ह्रदय में नहीं।
9. हमेशा स्त्री जाति का आदर करो।
10. अहंकार का त्याग कर सभी के साथ प्यार से पेश आओ। अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है।
11. हमेशा तनाव मुक्त रहने का प्रयास करो, तभी निरंतर आप अपने सभी कार्य कर पाओगे।
12. सभी को प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दो।