डीएविवि में लगेगा आपातकाल की धारा 52, राजभवन तय करेगा अगला कुलपति
इंदौर
उच्च शिक्षा विभाग देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के कुलपति नरेंद्र कुमार धाकड़ को हटाने जा रहा है। उन्हें मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के आपातकाल की धारा 52 लगाकर हटाया जाएगा। कुलपति धाकड़ ने शासन की स्वीकृति के बिना संविदा शिक्षकों को नियुक्त करने जा रहे थे। वे नियुक्ति आदेश जारी कर पाते। इसके पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने नियुक्तिों पर रोक लगा दी थी। इसके बाद शासन ने भर्ती की जांच कराने के लिए एक एक का दो जांच कमेटियां गठित कर जांच तक कराई है। दोनों कमेटियों की रिपोर्ट में कुलपति धाकड़ को दोषी पाया है। धारा 52 लगाने के लिए उच्च शिक्षामंत्री जीतू पटवारी ने फाइल को ओके कर दिया है। विभाग अब धारा 52 की फाइल को राजभवन भेजेगा। इसमें तीन उम्मीदवारों का पैनल भी राजभवन जाएगा। इसमें राज्यपाल आनंदी बेन पटेल उक्त तीन उम्मीदवारों में से किसी एक को एक साल के लिए कुलपति नियुक्त करेंगी।
उक्त दो कमेटियों ने की थी जांच
भोज विवि रजिस्ट्रार एचएस त्रिपाठी, एडी इंदौर केएन चतुर्वेदी और विक्रम विवि डीआर आरके बघेल और आरडीविवि व विक्रम विवि के पूर्व कुलपति रामराजेश मिश्र, रजिस्ट्रार एलएस सोलंकी व एचएस त्रिपाठी की जांच रिपोर्ट में कुलपति धाकड़ को विवि अधिनियम की धारा 24 (20) का उल्लंघन का दोषी पाया है।
कुलपति धाकड़ को भारी पड़ी ये गलतियां
जांच रिपोर्ट के मुताबिक धाकड़ ने विवि में रहते हुए भर्ती करने में तीन खास गलतियां की हैं। इसमें सबसे पहले गलती भर्ती के लिए शासन की स्वीकृति के बिना 49 पदों को विज्ञापित करना, दूसरी गलती रोस्टर का पालन नहीं करना और तीसरी गलती एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के विपरित असिस्टेंट प्रोफेसर के पद निकालकर नियुक्ति करना है।
1300 विद्यार्थी नहीं दे पाए परीक्षा
डीएविवि के यूटीडी के यूजी-पीजी की करीब साढ़े तीन हजार सीटों पर प्रवेश कराने रविवार को आनलाइन परीक्षा रखी गई थी। परीक्षा के दौरान सर्वर डाउन हो गया। यहां तक कई परीक्षा केंद्रों व्यवस्था चरमरा गई। इससे करीब डेढ़ हजार विद्यार्थी परीक्षा से वंचित हो गए हैं। परीक्षा में शामिल होने के लिए करीब 17 हजार विद्यार्थियों ने आवेदन किए थे। डीएविवि का कहना है कि परीक्षा से वंचित विद्यार्थी परेशान नहीं हो। उनके लिए दोबारा से परीक्षा में शामिल करने के इंतजाम किए जा रहे हैं।