बराबर सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं एसपी-बीएसपी, लोकसभा चुनाव में यह होगा सियासी गणित
लखनऊ
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन की राह आसान होती नजर आ रही है। शुक्रवार को दिल्ली स्थित मायावती के घर पर हुई अखिलेश यादव और मायावती की मुलाकात से इन कयासों को और मजबूती मिली है। माना जा रहा है कि दोनों पार्टियां जल्द ही गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर सकती हैं। दोनों दलों के साथ आने के बाद देश में सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में वोटों के गणित पर काफी असर पड़ सकता है।
जानकारी के मुताबिक, दोनों पार्टियों ने 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। फिलहाल दोनों ही पार्टियां कांग्रेस और आरएलडी को साथ लेने के मूड में नहीं हैं, जबकि ओबीसी राजनीतिक दल जैसे- निषाद पार्टी, अपना दल (कृष्णा पटेल) को साथ में लेने की तैयारी है।
कांग्रेस से परहेज, मगर सोनिया-राहुल को वॉकओवर
संभावित गठबंधन की खास बात है कि इसमें कांग्रेस के लिए भले ही जगह ना हो, मगर सोनिया-राहुल की सीटों रायबरेली और अमेठी पर दोनों ही पार्टियां कोई उम्मीदवार नहीं उतारेंगी। यही आरएलडी चीफ अजीत सिंह की सीट पर भी होने की उम्मीद है।
मायावती को हावी नहीं होने देना चाहते अखिलेश
जानकारों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने पर ज्यादा जोर दे रही है। अखिलेश बीएसपी को एक भी सीट ज्यादा नहीं देना चाहते हैं, जिससे मायावती के साथ उनकी साझेदारी बिना किसी अड़चन के चलती रहे, क्योंकि मायावती सीटों के मामले में मोलभाव करने में एक्सपर्ट हैं।
यह होगा सियासी गणित
2014 में लोकसभा चुनाव में 71 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने रेकॉर्ड 42.6 फीसदी वोट हासिल किए थे। एसपी के खाते में 22.3 फीसदी वोटों के साथ जहां 5 सीटें आई थीं, वहीं बीएसपी के खाते में 19.8 फीसदी वोटों के साथ एक भी सीट हाथ नहीं लगी। अगर ये दोनों पार्टियां साथ आती हैं, तो निश्चित तौर पर दोनों को ही कुछ राहत मिलेगी। हालांकि गठबंधन में ना शामिल किए जाने पर पिछले चुनाव में महज 7.5 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस के लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी।