बैन के बाद भी जारी है हर्ष फायरिंग, 35 महीनों में 31 मौतें, इस हफ्ते 3
लखनऊ
पूरी तरह से प्रतिबंध लगे होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में शादियों और अन्य समारोहों में हर्ष फायरिंग पर रोक नहीं लग पा रही है। पिछले 35 महीनों में हर्ष फायरिंग की वजह से 31 लोगों की जान गई है, जबकि 32 अन्य घायल हुए हैं।
फायरिंग की वजह से तीन लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इनमें से शामली का एक युवक तथा मुरादाबाद की दो महिलाएं शामिल हैं। करीब 60 फीसदी हर्ष फायरिंग देसी हथियारों से की जाती हैं।
नैशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस रिपोर्ट की जुलाई 2016 की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 26 लाख हथियारों के लाइसेंस हैं, जिसमें से अकेले यूपी में ही 10.76 लाख हथियार हैं। इसका मतलब है कि यूपी में पुलिस की तुलना में 5 गुना हथियार हैं। यहां 2.3 लाख पुलिसकर्मियों के पास हथियार है। यह संख्या तो केवल लाइसेंसी हथियारों की है, जबकि अवैध हथियारों की कोई सूची नहीं है।
यूपी एडीजी (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने कहा, 'यूपी में हर्ष फायरिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। लेकिन यहां के गन कल्चर पर पूरी तरह से रोक नहीं है। 10 साल पहले की तुलना में स्थिति काफी बेहतर हुई है। इस संबंध में हम अडवाइजरी जारी करते रहते हैं। शिकार बनने वाले ज्यादातर बच्चे या किनारे खड़े लोग होते हैं। सभी जिलों की पुलिस के पास हर्ष फायरिंग करने वालों के लाइसेंस कैंसल करने और अरेस्ट करने के स्पष्ट निर्देश हैं।'