मिशन 2019: ...तो पूर्वांचल में मुलायम सिंह यादव की जगह भरेंगे अखिलेश!
लखनऊ
समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रत्याशियों की पहली सूची में अखिलेश यादव ने अपने लिए पुख्ता बताई जा रही कन्नौज सीट पर पत्नी डिंपल यादव की उम्मीदवारी बरकरार रखी है। इसके बाद से ही यह कयास तेज हो गए हैं कि अखिलेश यादव अपने लिए पूर्वांचल में कोई सीट चुन सकते हैं। फिलहाल एसपी संस्थापक मुलायम सिंह यादव की खाली की गई आजमगढ़ सीट पर उनकी दावेदारी की चर्चा है। मुलायम के मैनपुरी से लड़ने के चलते तेज प्रताप यादव का पत्ता कट गया है।
यूपी विधानसभा चुनाव की हार के बाद परिवारवाद को लेकर उठ रहे सवालों के बीच अखिलेश यादव ने कहा था, 'अगर हमारा परिवारवाद है तो हम तय करते हैं कि अगली बार हमारी पत्नी चुनाव नहीं लड़ेंगी।' हालांकि, अपने इस दावे पर कुछ महीने बाद ही अखिलेश ढीले पड़ने लगे थे। पिछले दिनों उन्होंने मीडिया से बातचीत में डिंपल की दावेदारी के फिर संकेत दिए थे। शुक्रवार को सूची जारी करने के साथ ही यह पुख्ता भी हो गया।
हालांकि, अखिलेश ने चतुराई से इसे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को 'समर्पित' कर दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एसपी समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कुछ और महिला उम्मीदवारों की घोषणा कर रहे हैं। पार्टी ने 9 में तीन टिकट महिलाओं को देकर 33% कोटे के प्रति भी इशारा किया है। हालांकि 2014 में कन्नौज में जीतने के लिए एसपी को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। डिंपल 20 हजार से भी कम वोटों से जीतीं थीं।
इटावा में पिता की जगह बेटे को टिकट
2014 में एसपी ने कमलेश के पिता प्रेमदास कठेरिया को टिकट दिया था। प्रेमदास 2009 में यहां से सांसद भी चुने गए थे। इस बार बीजेपी से सीट छीनने की जिम्मेदारी कमलेश पर सौंपी गई है। कमलेश पिछली विधानसभा चुनाव में इटावा की भरथना सीट से प्रत्याशी थे, जहां कड़े मुकाबले में वह बीजेपी की सविता कठेरिया से लगभग 2000 वोटों से हार गए थे।
फिरोजाबाद: मुश्किल लड़ाई में अक्षय
फिरोजाबाद से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव ही फिर चुनाव लड़ेंगे। 2014 में सांसद बने अक्षय यादव के लिए इस बार सबसे बड़ी चुनौती उनके चाचा शिवपाल यादव बन गए हैं, जिन्होंने फिरोजाबाद से ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। हालांकि बीएसपी का साथ मिलने से राहत जरूर है, लेकिन त्रिकोणीय लड़ाई के चलते मुकाबला आसान नहीं रह जाएगा।