मोदी सरकार में ऐतिहासिक हुए भारत-UAE रक्षा संबंध
नई दिल्ली/आबूधाबी
खाड़ी देशों में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में भारत हमेशा से लगा रहा है लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत और संयुक्त अरब अमीरात एक दूसरे के काफी करीब आए हैं और भारत को इसका एक बड़ा फायदा डिफेंस सेक्टर में हुआ है। संयुक्त अरब अमीरात ने पिछले कुछ सालों में भारत को रक्षा मामलों को लेकर कई बार सहयोग किया है और ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय वायुसेना संयुक्त अरब अमीरात में 7 देशों के साथ युद्धाभ्यास कर रही है। फारस की खाड़ी में भारत ने पहली बार अपना पैर रखा है तो UAE ने पिछले कुछ सालों में सीरिया और इराक में बनते बिगड़ते हालात की कई गोपनीय जानकारियां रीयल टाइम भारत को सौंपी है। वहीं, फ्रांस से भारत आने वाले रफाल भी यूएई में ही अपना तेल भरवाती है। ऐसे में यूएई भारत का कितना मजबूत सामरिक साझेदार बनता जा रहा है, आईये देखते हैं भारत-यूएई बने मजबूत डिफेंस साझेदार 2020 गणतंत्र दिवस समारोह के वक्त नई दिल्ली में सीएए को लेकर आंदोलन चल रहा था।
उस वक्त प्रदर्शनकारियों को लालकिले तक आने से रोकने के लिए सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गये थे। बावजूद इसके सुरक्षा एजेंसियों को शक था कि प्रदर्शनकारी ड्रोन का इस्तेमाल कर सुरक्षा चक्र तोड़ सकते हैं। लिहाजा डीआरडीओ की मदद से नई दिल्ली में एंटी ड्रोन सिस्टम लगाया गया था। लेकिन इसके बाद भी सुरक्षा एजेंसियों को सुरक्षा में कुछ कमी लग रही थी। उस वक्त संयुक्त अरब अमीरात भारत की मदद के लिए सामने आया और भारत को एंटी मोबाइल ड्रोन सिस्टम सौंपा। UAE में राफेल की लैंडिग फ्रांस से चार राफेल विमान भारत के लिए उड़ान भर चुकी थी और उसमें तेल खत्म होने लगा था। उस वक्त भी यूएई मदद के लिए सामने आ गया। यूएई एयरफोर्स का एयरबस 330 मल्टी रोल ट्रांसपोर्ट टैंकर्स (MRTT) को राफेल विमनों में तेल भरने भेज दिया। एमआरटीटी की मदद से राफेल को लैंडिंग की जरूरत ही नहीं पड़ी। बल्कि, आसमान में ही राफेल विमानों में तेल भर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात एमआरटीटी को राफेल विमानों में तेल भरने के लिए भेजेगा भारतीय बेस पर डिप्लॉय करेगा।
जिसकी वजह से रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण एयरफोर्स बेस बंगाल के हासिमारा अप्रैल तक एक्टिवेट हो जाएगा। हामिसामा एयरबेस भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण होने वाला है, ये आप इस बात से समझेंगे कि सिक्किम, भुटान और तिब्बत के ट्रायजंक्शन पर यह एयरबेस मौजूद है और यहां से चीन को डायरेक्ट निशाना बनाया जा सकता है। और यूएई की मदद से यह एयरबेस इस साल अप्रैल में एक्टिवेट हो रहा है। मोदी कार्यकाल में मजबूत संबंध मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नई दिल्ली और यूएई के संबंध काफी ज्यादा मजबूत हुए हैं। खासकर डिफेंस सेक्टर में नई दिल्ली और आबूधाबी काफी करीब आए हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जाएद अल नाहयान के साथ बातचीत करते रहते हैं और दोनों काफी अच्छे दोस्त बन चुके हैं। ये दोनों देशों के बीच का अच्छे संबंध का ही नतीजा है कि कोरोना काल में भी भारत की यूएई ने और भारत ने वैक्सीन को लेकर यूएई की दिलखोलकर मदद की है। भारत के विदेशमंत्री ने भी कहा है कि भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय संबंध काफी मजबूत हुए हैं। मोदी के कार्यकाल के दौरान भारत और यूएई के बीच व्यापारिक रिश्ता भी काफी मजबूती से आगे बढ़ा है तो ऐसा पहली बार हुआ है कि इंडियन नेवी पारस की खाड़ी में ‘वरूणा' युद्धाभ्यास 25 से 27 अप्रैल के बीच करने जा रही है। इस युद्धाभ्यास में फ्रांस की नेवी भी हिस्सा ले रही है।

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