विकास का गला न घोटें, RBI की बैठक से पहले बोले जेटली

विकास का गला न घोटें, RBI की बैठक से पहले बोले जेटली

मुंबई 
केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच बढ़ते गतिरोध के बाद 19 नवंबर को RBI बोर्ड की बैठक होनी है। इस अहम बैठक से ठीक पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली की अहम टिप्पणी सामने आई है। जेटली ने कहा है कि क्रेडिट फ्लो, तरलता और कर्ज उपलब्धता की कमी के चलते आर्थिक वृद्धि का गला नहीं घुटना चाहिए। जेटली ने इसे महत्वपूर्ण मुद्दा बताया है।  

शनिवार को अवॉर्ड्स फॉर कॉर्पोरेट एक्सिलेंस समारोह में बोलते हुए जेटली ने ये बात कही है। वित्त मंत्री ने RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा शुरू किए गए आरबीआई संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा का भी समर्थन किया। जेटली ने कहा कि संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा ने छिपे हुए बैड लोन को सामने ला दिया। उन्होंने कहा कि इससे पता चला कि डिस्क्लोजर पारदर्शी या सम्मानजनक नहीं थे। 

वित्त मंत्री ने कहा कि 2008 से 2014 के दौरान 'सामूहिक रूप से किये गये पाप' की वजह से बैंकिंग प्रणाली को साफ सुथरा बनाने के चलते आर्थिक प्रक्रिया प्रभावित नहीं होनी चाहिए। यह वह दौर था जब नियामकीय प्रणाली ने भारी मात्रा में दिये जा रहे कर्ज को नजरंदाज किया। उन्होंने कहा कि आरबीआई संपत्ति गुणवत्ता रिव्यू से 8.5 लाख करोड़ के बैड लोन का खुलासा हुआ जो 2014 में 2.5 लाख करोड़ था। 

उन्होंने कहा कि हालांकि इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड बैड लोन की समस्या से निपट रहा है लेकिन, 'यह काम इस तरह से होना चाहिये जिसमें आप बैंकों की स्थिति को दुरुस्त कर सकें, जहां तक बैंकिंग प्रणाली की बात है आप इसमें अनुशासन बहाल कर सकें लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि बाजार में नकदी और कर्ज सीमित होने पर आर्थिक वृद्धि को इसका खामियाजा नहीं भुगतना चाहिए।' 

इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि हम एक समस्या के गलत निदान की ओर देख रहे हैं जबकि इसके सरल निदान उपलब्ध हैं। जेटली की तरफ से ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब 19 नवंबर को रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में सरकार रिजर्व बैंक निदेशक मंडल में नामित अपने प्रतिनिधियों के जरिये आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने वाले उपायों पर जोर डालेगी। 

इन उपायों में गैर-बैंकिंग क्षेत्र के लिये तरलता बढ़ाने के वास्ते विशेष खिड़की सुविधा उपलब्ध कराने, बैंकों की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई नियमों में ढील देने और लघु उद्यमियों को आसानी से कर्ज उपलब्ध कराने की मांग शामिल है। सरकार रिजर्व बैंक से अपनी बात मनवाने के लिये रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के तहत विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है। इस धारा के तहत सरकार सार्वजनिक हित में रिजर्व बैंक गवर्नर को निर्देश दे सकती है।