वैकुंठ चतुर्दशी पर रात 12 बजे उज्जयिनी में हरि का हुआ हर से मिलन

उज्जैन
 वैकुंठ चतुर्दशी पर बुधवार को धर्मनगरी उज्जयिनी में हरि हर मिलन हुआ। मध्य रात्रि में राजाधिराज की पालकी गोपाल मंदिर पहुंची। यहां हर ने बिल्वपत्र की माला भेंट कर श्री हरि को सृष्टि का भार सौंपा। श्री हरि ने भी हर को तुलसीपत्र की माला अर्पित की। हजारों नगरवासी हरि हर मिलन के साक्षी बने।

सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में हरि हर मिलन हुआ। इसके लिए महाकाल मंदिर से रात 11 बजे महाकाल की सवारी निकाली गई। परंपरा अनुसार भक्तों ने हरि हर मिलन की सवारी में आतिशबाजी की। हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन ने आतिशबाजी में हिंगोट, राकेट आदि चलाने पर रोक लगाई थी। इसके लिए मंगलवार शाम पुलिस, मंदिर प्रशासन व निजी सुरक्षाकर्मियों की टीम ने सवारी मार्ग पर मुनादी करवाई।


सुप्रीमकोर्ट ने आतिशबाजी के लिए रात्रि 8 से 10 बजे का समय निर्धारित किया है। इसके चलते मंदिर प्रशासन ने हरि हर मिलन की सवारी में मध्यरात्रि में आतिशबाजी के लिए न्यायालय से विशेष अनुमति ली। हालांकि प्रशासन न्यायालय के अन्य निर्देश का पालन करने को तत्पर रहा। इसलिए एक दिन पहले सवारी मार्ग पर ज्यादा हानिकारक पटाखों को नहीं चलाने की मुनादी कराई गई ।


धार्मिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी पर श्रीहरि विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान विष्णु को सौंपकर राजा बलि के यहां पाताल लोक में विश्राम के लिए जाते हैं। चार माह सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। देव उत्थापनी एकादशी पर देव उठने के बाद चतुर्दशी पर 'हर भगवान महाकाल 'हरि भगवान विष्णु को सृष्टि के संचालन का भार पुन: सौंपते हैं। गोपाल मंदिर में हरि हर मिलन इसी कथा प्रसंग का हिस्सा है।


महाकाल को तुलसी, गोपालजी को बिल्व पत्र की माला

गोपाल मंदिर में मध्यरात्रि हरि हर मिलन हुआ। महाकाल मंदिर के पं.महेश पुजारी व पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया राजाधिराज महाकाल की ओर से गोपालजी को बिल्व पत्र की माला अर्पित की गई। वहीं गोपाल मंदिर के पुजारी ने भगवान महाकाल को तुलसी पत्र की माला भेंट की।

पारंपरिक पूजन के बाद सवारी पुन: महाकाल मंदिर की ओर रवाना हो जाएगी। तड़के 4 बजे भस्मारती में भी हरि हर मिलन होगा। पुजारी मंदिर परिसर स्थित साक्षी गोपाल मंदिर से गोपालजी को झांझ-डमरू बजाते हुए गर्भगृह में लेकर आएंगे। यहां दोनो देवों का मिलन होगा।