अखिलेश सरकार से जुड़े रेत खनन मामले की जांच कर रही CBI अधिकारी का ट्रांसफर
नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के अवैध रेत खनन मामले की जांच कर रहीं सीबीआई अधिकारी गगनदीप गंभीर का तबादला कर दिया है. सीबीआई ने डीआईजी रैंक के अपने 4 अधिकारियों का ट्रांसफर किया है, जिसमें गंगनदीप का भी नाम है. अब एक अन्य DIG रैंक के अधिकारी अनीश प्रसाद को इस मामले की जांच सौंपी गई है. यूपी के इस मामले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी विधायक रमेश मिश्रा, लीज होल्डर आदिल खान समेत कई लोग जांच के दायरे में हैं. खनन मामले की जांच के लपेटे में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी आ सकते हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए तब खनन विभाग उन्हीं के पास था.
सीबीआई के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव की भूमिका की जांच की जाएगी और उनसे भी पूछताछ की जा सकती है. जांच एजेंसी ने साल 2012 से लेकर 2016 तक के रेत खनन पर अपनी जांच बैठाई है, जबकि अखिलेश यादव 2012 से 2013 के बीच मुख्यमंत्री रहते हुए खनन विभाग भी संभाल रहे थे. एनजीटी ने यूपी में कुछ समयाविधि के लिए रेत खनन पर रोक लगा रखी थी, बावजूद इसके अधिकारियों ने इसकी इजाजत दी और यूपी में रेत का खनन जारी रहा.
आईएएस अफसर बी चंद्रकला ने एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करते हुए रेत खनन की लीज को मंजूरी दी थी साथ ही उनपर लाइसेंस रिन्यू करने का भी आरोप है. सीबीआई ने चंद्रकला से इस मामले में पूछताछ की है और उनके ठिकानों पर छापे भी मारे गए हैं, जहां से कुछ दस्तावेजों को भी जब्त हुए हैं.
अहम मामलों की जांच में भेजा
डीआईजी गगनदीप गंभीर को बिहार के सृजन घोटाले और पत्रकार उपेंद्र राय मामले की जांच कर रही यूनिट में ट्रांसफर किया गया है. वह ज्वाइंट डायरेक्टर साई मनोहर की अगुवाई वाली स्पेशल जांच टीम में DIG का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगी. यही टीम भगोड़े विजय माल्या, अगस्ता वेस्टलैंड जैसे कई अहम मामलों की जांच कर रही है. पहले सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना इस टीम की अगुवाई कर रहे थे. यह टीम कोल ब्लॉक स्कैम के कुछ मामलों की भी जांच कर रही है.
सीबीआई के यह ट्रांसफर अंतरिम प्रमुख एम नागेश्वर राव ने किए हैं, जिन्हें आलोक वर्मा के बाद फिर से सीबीआई का जिम्मा दिया गया है. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टी पर चल रहे वर्मा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाल किया गया था, हालांकि कोर्ट ने कहा था कि वह पद पर रहने के दौरान कोई भी नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे.
सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर आलोक वर्मा का ट्रांसफर दमकल और होम गार्ड विभाग में किया गया था लेकिन फिर उन्होंने इस पद को ठुकराते हुए प्रशासनिक सेवाओं से अपना इस्तीफा दे दिया था. सीबीआई में आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच की जंग सड़क पर आने के बाद सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकार तक को इस मामले में दखल देना पड़ा था.