गोलाफेंक एथलीट इंदरजीत का निलंबन हटा, नाडा हुआ शर्मसार

गोलाफेंक एथलीट इंदरजीत का निलंबन हटा, नाडा हुआ शर्मसार

नयी दिल्ली
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के अपीली पैनल ने शुक्रवार को गोला फेंक एथलीट इंदरजीत सिंह पर नाडा के अनुशासनात्मक पैनल द्वारा लगाया गया चार साल निलंबन रद्द कर दिया। डोपिंग रोधी अपीली पैनल (एडीएपी) में वकील विभा दत्ता मखिजा, डाक्टर हर्ष महाजन और पूर्व खिलाड़ी विनय लांबा शामिल थे जिन्होंने स्पष्ट किया कि नाडा द्वारा जुटाये गये नमूनों की पहचान और शुद्धता से समझौता किया गया। नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल से संपर्क करने के लगातार प्रयास किये गये, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। इंदरजीत को दो बार 22 जून 2016 में भिवानी में टूर्नामेंट के बाहर कराये गये परीक्षण और फिर हैदराबाद में अंतरराज्यीय प्रतियोगिता में टूर्नामेंट के दौरान 29 जून 2016 को कराये गये परीक्षण में एंड्रोस्टेरान और इटिचोलानालोन प्रतिबंधित पदार्थ का पाजीटिव पाया गया था। इस साल जुलाई में नाडा की निचली संस्था एडीडीपी (अनुशासनात्मक पैनल) ने चार साल के प्रतिबंध को सही ठहराया जबकि इंदरजीत ने कहा कि नमूने एकत्रित करने की प्रक्रिया में वाडा (विश्व डोंिपग रोधी एजेंसी) के नियमों का उल्लघंन किया गया था। एडीडीपी को इंदरजीत का यह तर्क सही लगा कि नाडा की समीक्षा प्रक्रिया में गलती थी क्योंकि इसमें नमूने लेने की प्रक्रिया में ‘ब्रेक इन चेन (नमूने लेने में ब्रेक होना)’ का जिक्र नहीं किया गया था। पता चला कि इंदरजीत का भिवानी स्थित निवास में 22 जून 2016 को मूत्र के नमूने रात साढ़े नौ बजे से लेकर साढ़े 11 बजे तक अलग अलग समय लिये गये। नियमों के अनुसार अगर खिलाड़ी का नमूना कई बार लिया गया है तो तो एक अलग तरह की किट का इस्तेमाल किया जाता है जो डोंिपग नियंत्रण अधिकारीर् डीसीओी द्वारा नहीं किया गया। दूसरा नमूने लेने वाले अधिकारी ने नमूने 22 जून 2016 को रात 11.45 से अगले दिन दोपहर 02.45 तक अपने निवास में प्रच्च्ीज में रखे। नियमों के अनुसार नमूनों का अपने घर में रखा जाना ‘अनिधिकृत’ होता है और इसमें नमूनों से छेड़छाड़ की संभावना बनी रहती है। 

अंतरराज्यीय प्रतियोगिता के दौरान भी खामियां पायी गयी क्योंकि इसमें डीसीओ ने मूत्र का 150 मिलीलीटर नमूना लिया जो मानक है लेकिन परीक्षण करने वाली लैब को केवल 120 मिलीलीटर मूत्र मिला। नाडा ने अपने बचाव में कहा कि नमूने का 30 मिलीलीटर तक घट जाने से कोई अंतर नहीं पड़ता लेकिन नियम 7.2.2 व दिशानिर्देशों के अनुसार अगर परीक्षण के मानकों में जरा भी फर्क पाया जाता है तो पूरे परीक्षण को नकारात्मक माना जायेगा। भारतीय खेलों में यह पहली बार हुआ है जब एथलीट को दो बार प्रतिबंधित पदार्थ का दोषी पाया गया हो और उसे दोषमुक्त कर दिया जाये। इंदरजीत अब प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने के लिये स्वतंत्र हैं लेकिन वाडा द्वारा खेल पंचाट में अपील की जा सकती है।