बुलंदशहर: साथी SI ने बताया- बचाई जा सकती थी इंस्पेक्टर सुबोध की जान, लेकिन...
बुलंदशहर
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का एक शहर फिर भीड़ की हिंसा का दंश झेल रहा है. सोमवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जो हुआ वो डराने वाला था. गुस्साई भीड़ इतनी बेकाबू हो गई कि एक पुलिसवाले की जान ही ले ली. गोकशी के शक में हुए इस बवाल में स्याना थाने के पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने अपनी जान गंवाई. ये हादसा कैसे हुआ और हालात किस तरह बिगड़ते चले गए, इसके बारे में मौके पर मौजूद सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने बताया.
आजतक से बात करते हुए सुरेश कुमार ने कहा कि अचानक 500-600 लोगों की भीड़ आई और उसने पुलिस चौकी पर हमला कर दिया. इसी दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को भी निशाना बनाया गया. सुरेश ने बताया कि भीड़ ने इस दौरान पत्थरबाजी शुरू कर दी, उन्हें भी पत्थर लगा. जिस कारण वो भी वहां गिर गए.
उन्होंने बताया जो भीड़ आई उनके पास पत्थर, लाठी-डंडे सभी कुछ था, हालांकि उन्होंने किसी के पास कोई हथियार नहीं देखा था. सुरेश कुमार ने बताया कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन भीड़ की वजह से ही ऐसा नहीं हो पाया.
उन्होंने बताया कि जिस दौरान सुबोध कुमार घायल हुए, अगर तभी उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जाता तो शायद उनकी जान ना जाती. भीड़ ने उन्हें अस्पताल ले जाने ही नहीं दिया.
क्या हुआ बुलंदशहर में...?
गौरतलब है कि सोमवार (3 दिसंबर) को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र के एक खेत में गोकशी की आशंका के बाद बवाल शुरू हुआ. जिसकी शिकायत मिलने पर सुबोध कुमार पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचे थे. इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा रही थी, इतने में ही तीन गांव से करीब 400 लोगों की भीड़ ट्रैक्टर-ट्राली में कथित गोवंश के अवशेष भरकर चिंगरावठी पुलिस चौकी के पास पहुंच गई और जाम लगा दिया.
इसी दौरान भीड़ जब उग्र हुई तो पुलिस ने काबू पाने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े और जल्द ही वहां फायरिंग भी होने लगी. जिसमें सुबोध कुमार घायल हो गए और एक युवक भी जख्मी हो गया. सुबोध कुमार को अस्पताल ले जाने से रोका गया और उनकी कार पर जमकर पथराव भी किया गया. अब पुष्टि हुई है कि सुबोध कुमार की मौत गोली लगने से हुई है.
आपको बता दें कि बुलंदशहर के जिलाधिकारी के अनुसार, सुबोध कुमार के सिर में गोली लगी थी, जिस कारण उनकी मौत हुई है. उन्होंने यह भी बताया है कि हमले के बाद जब सुबोध कुमार ने खेत की तरफ जाकर खुद को बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उन पर वहां भी हमला किया.