डीएफओ की सांठगांठ से वानिकी कार्य के भुगतान में लाखों का घोटाला, अब लीपापोती का प्रयास
rafi ahmad ansari
बालाघाट। वन विभाग के दक्षिण सामान्य वन मंडल में डीएफओ की सांठगांठ से बड़ा घोटाला प्रकाश में आया है जहा वानिकी कार्यों के भुगतान की राशि भारी पैमाने पर घोटाला कर ली गयी। जब इसकी जानकारी फील्ड में पदस्थ कर्मचारियों को लगी तो उस राशि को तत्काल मजदूरों के खाते में ट्रांसफर करवाई गई। जहा यह फर्जीवाड़ा विगत 1 वर्षों से चल रहा था। हालांकि इसकी शिकायत उच्च स्तर पर की गई है।
अपने रिश्तेदारों और परिचितों के खाते में ट्रांसफर करवा दिया राशि
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण सामान्य वन मंडल बालाघाट के वनक्षेत्रों में कराए गए वानिकी कार्यों के पेमेंट को वनमंडलाधिकारी के निर्देशन में कार्यालय में कार्य कर रहे हैं बाबू और स्थाई कर्मियों के साथ साथ ऑपरेटरों के द्वारा मजदूरों का खाता गलत होने के कारण फेल हो रहे पेमेंट की राशि को डीएफओ की मिलीभगत से बाबू और ऑपरेटर ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों के खाते में ट्रांसफर करवा दिया था। लेकिन जब फील्ड के कर्मचारियों और रेंजरो को उनके क्षेत्र के मजदूरों ने बताया कि विगत 1 वर्ष से उनके खाते में उनकी राशि का भुगतान नहीं हुआ है तो सभी लोग सकते में आ गए और इस मामले की छानबीन की गई।
ऐसे फूटा फर्जी भुगतान की प्रक्रिया का भांडा
छानबीन में पता चला कि संबंधित मजदूरों का खाता नंबर गलत होने के कारण पेमेंट फेल हो रहा है। वही जब जानकारी ली गई कि क्या फेल हुए पेमेंट का कोषालय से चालन प्राप्त हुआ है तो डीएफओ सहित उनके मातहतों में खलबली मच गई और वर्षों से चल रहे फर्जी भुगतान की प्रक्रिया का भांडा फुट गया। जिस पर रोक लगाते हुए चहितो और रिश्तेदारों के खातों में भेजे गए पेमेंट को तत्काल उसी मद से वापस जमा करवा दिया गया, जिस मद से ट्रांसफर करवाया गया था।लेकिन इस मामले में दोषियों को बचाने का भरपूर प्रयास किया गया।
दोषियों को इसलिए बचा लिया गया
डीएफओ के द्वारा दोषियों को इसलिए बचा लिया गया है, ताकि कहीं उनकी पोल ना खुल जाए। पेमेंट फेल होने से अपने चहेतों के खाते में राशि ट्रांसफर करने वाले बाबू और आपरेटरो के विरुद्ध भी कोई कार्यवाही ना करते उनको अभयदान दे दिया गया। जबकि इस प्रकरण को डीएफओ के द्वारा पुलिस को सौंप देना चाहिए था, क्योंकि यह धारा 420 के तहत का प्रकरण है। लेकिन इस फर्जीवाड़े में महज औपचारिकता निभाते हुए एक निजी ऑपरेटर को हटा दिया गया, जबकि इस मामले में शाखा में पदस्थ बाबू लिप्त थे, जिन्हें संरक्षण दिया गया है और इतने बड़े घोटाले को डीएफओ के द्वारा ठंडे बस्ते डाल दिया गया। यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाती है तो एक बहुत बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है, किंतु डीएफओ स्वयं इस घोटाले में शामिल है, इसलिए उनके द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है। हालांकि इसकी शिकायत वन मंत्री एवं प्रधान मुख्य वनसंरक्षक भोपाल तक कर दी गई है।
इनका कहना है
इस मामले की शिकायत आयी हुई है। मैंने डीएफओ को जांच के लिए भेज दिया है। साथी को यह मामला पुलिस को भी सौपा जाएगा।
एन के सनोडिया, मुख्य वन संरक्षक बालाघाट