वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के लिए गुड न्यूज, कैमरे में कैद हुए 11 लुप्तप्राय प्रजातियों के जीव-जन्तु
मुजफ्फरपुर
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में जंगली जीव-जंतुओं की 11 नई प्रजातियां मिली हैं। बाघों की गणना के लिए जब कैमरा ट्रैप लगाए गए तो उन दुर्लभ जीव-जन्तुओं की चहल-पहल और गतिविधियों के लाइव विडियो मिल गए, जो लुप्तप्राय प्राणी की सूची में शामिल हैं।
कैमरे में क्लाउडेड लेपर्ड, सफेद कान वाला रात का बगुला, चार सिंगों वाले मृग, बकरी-मृग,बर्मीज अजगर, भारतीय भेड़िए, नेवला, चित्तीदार बिल्ली, होरी-बेलिड गिलहरी, येलो थ्रोटेड मार्टेन, हिमालयन सीरो जैसे जीवों का विडियो देखकर वन अधिकारियों के चेहरे खिल उठे। इनमें से कई ऐसे जीव हैं जो दशकों पूर्व विलुप्त हो गए थे और कुछ ऐसे हैं जो दुनिया के दूसरे देशों में बड़ी मुश्किल से नजर आते हैं। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की पूर्व संध्या पर वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि यह बहुत बड़ी उपलब्धी है और आगे कई और नई प्रजातियां मिलने की पक्की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि इन दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण की कार्य योजना बनाई जाएगी।
बादल वाला तेंदुआ: क्लाउडेड लेपर्ड एक मध्यम आकार का मायावी जन्तु है। इसका वजन लगभग 11.5-18 किलोग्राम है। सफेद कान वाला बगुला दुर्लभ और शायद ही कभी दिखने वाली दुर्लभ प्रजाति है। इसे अब तक केवल दक्षिण-पूर्वी चीन के प्रतिबंधित क्षेत्र और वियतनाम के हैनान द्वीप में देखा गया है। बड़े पैमान पर जंगल की लकड़ी काटे जाने और शिकार के कारण यह प्रजाति विलुप्त हो चुकी है। यह प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप में पहली बार देखी गई है। वीटीआर में करीब 20 वर्षों के बाद चार सींग वाले मृग या चौसिंघा देखे गए हैं। यह एकांत में रहने वाली मृग की सबसे छोटी प्रजाति है। यह भी विलुप्त प्रजातियों की सूची में शामिल है, जो दशकों पूर्व हिमालय की तलहटी और भारत में गिर व नीलगिरी की पहाड़ियों में देखी जाती थी।