2019: ऐंटी BJP-RSS मोर्चे में लीड रोल निभाना चाहती है कांग्रेस

2019: ऐंटी BJP-RSS मोर्चे में लीड रोल निभाना चाहती है कांग्रेस

 नई दिल्ली 
कांग्रेस हाइकमान ने अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ बीजेपी और आरएसएस विरोधी मोर्चे में विपक्षी दलों को एकजुट करने की हर पक्की कवायद में अपना रोल मजबूत बनाने का फैसला किया है। प्रमुख विपक्षी दल ने यह फैसला कांग्रेस की कोर कमिटी की मीटिंग में लिया, जहां यह नतीजा भी निकाला गया कि रीजनल फ्रंट के नाम से बिना कांग्रेस वाला तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद में कोई दम नहीं रहा है। इसलिए कांग्रेस को समान सोच वाली ताकतों को एकजुट करने में रणनीतिक भूमिका निभानी होगी। 
 

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि शनिवार को ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के जनरल सेक्रेटरी अशोक गहलोत की टीडीपी चीफ एन चंद्रबाबू नायडू से अमरावती में मुलाकात और दोनों की तरफ से 22 नवंबर को विपक्षी दलों का सम्मेलन कराने की योजना का ऐलान विपक्षी मोर्चे में लीड रोल निभाने की कांग्रेस लीडरशिप के फैसले का हिस्सा था। पार्टी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के कई दूसरे सीनियर लीडर्स ने दूसरी विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत की है। वे अन्य विपक्षी नेताओं से मिलने वाले हैं। 

 कांग्रेस आलाकमान को लगता है कि समान सोच वाली पार्टियों के लिए चुनाव से पहले बीजेपी और आरएसएस विरोधी बड़ा गठबंधन बनाने पर फोकस करना और चुनाव के बाद मोर्चे के नेता जैसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर बात करना सही रहेगा। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस की अगुआई वाली विपक्षी एकता सम्मेलन की पहल ने दिल्ली में विपक्षी दलों के सीएम की बैठक की मेजबानी कराने की AAP की कोशिशों को धराशायी कर दिया है। दरअसल, कांग्रेस नहीं चाहती कि उसके मुख्यमंत्रियों का इस्तेमाल AAP के प्लेटफॉर्म का वजन बढ़ाने में हो। 

थर्ड फ्रंट पर विचार नहीं 
इसकी दूसरी वजह यह है कि थर्ड फ्रंट के लिए ताकत झोंकने के बजाय चंद्रबाबू नायडू और जेडीएस के एच डी कुमारस्वामी जैसे विपक्षी सीएम की दिलचस्पी अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस के साथ संबंध को मजबूत बनाने में बढ़ रही है। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों के संयुक्त मोर्चे को सपॉर्ट करने वाले नायडू पिछले हफ्ते राहुल गांधी के साथ मुलाकात करने के बाद अब डीएमके लीडर एमके स्टालिन और जेडीएस लीडर कुमारस्वामी के साथ मिलकर महफिल लूट रहे हैं। विपक्षी गुट का मानना है कि डीएमके और जेडीएस कांग्रेस के साथ अपने संबंध पहले ही मजबूत बना चुके हैं। इस बीच, नायडू ने अपना पैंतरा मारा है। 

कांग्रेस समझ चुकी है कि राज्यों में हालात ऐसे बन गए हैं कि थर्ड फ्रंट में शामिल कई दल आखिरकार उसके साथ जुड़ेंगे। मिसाल के लिए नायडू आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के साथ इसलिए हाथ मिला रहे हैं ताकि वाईएसआर कांग्रेस से मुकाबला किया जा सके। कुमारस्वामी कर्नाटक में कांग्रेस के जूनियर पार्टनर के तौर पर सरकार चला रहे हैं। लालू प्रसाद की आरजेडी और शरद यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने को लेकर काम कर रहे हैं। 

एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन ने पवार के चुनाव पूर्व गठबंधन के ऑप्शन बंद कर दिए हैं। बंगाल में ममता की टीएमसी और सीपीएम में से कांग्रेस किसके साथ जाएगी, इस पर उसने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बीएसपी चीफ मायावती और अखिलेश की एसपी के मामले में कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम उठा रही है क्योंकि दोनों उसके साथ हाथ मिलाने और यूपी में महागठबंधन के पहले विधानसभा चुनावों के नतीजों का इंतजार करना चाहेंगे।