2024 में 54 बरस के होने वाले राहुल गांधी क्या कांग्रेस को दिला पाएंगे इतनी सीटें?

2024 में 54 बरस के होने वाले राहुल गांधी क्या कांग्रेस को दिला पाएंगे इतनी सीटें?

 
नई दिल्ली 

'चौकीदार चोर है' के नारे के साथ राहुल गांधी ने इस बार लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की, लेकिन उनका यह प्रयास न सिर्फ उनके बल्कि कांग्रेस के किसी काम न आया. इस बार भी कांग्रेस कई राज्यों में खाता तक नहीं खोल सकी और खुद राहुल गांधी अपनी सुरक्षित सीट अमेठी संसदीय सीट से स्मृति ईरानी के हाथों चुनाव हार गए. करारी हार के बाद उन्होंने पार्टी के अंदर कड़े तेवर दिखाए और अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर दिया, लेकिन पदाधिकारियों ने उन्हें पद पर बने रहने का अनुरोध किया.

अब लोकसभा चुनाव में हार के 28वें दिन राहुल गांधी अपना 49वां जन्मदिवस मना रहे हैं, लेकिन उनका यह जन्मदिन पिछली कई चुनावी नाकामियों के बीच आया है. लोकसभा चुनाव के तारीखों के ऐलान से काफी पहले ही उन्होंने अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी थी और अकेले अपने दम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भ्रष्टाचार और नोटबंदी समेत कई मोर्चों पर घेरने की कोशिश भी की, वह अपने मकसद में कई दफा कामयाब होते दिख भी रहे थे, लेकिन उनका प्रयास आम जनता को रिझाने में नाकाम रहा और कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें जिस लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत की आस थी, वहीं उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ गया.

अध्यक्ष बनने के बाद सिमटती कांग्रेस

2017 में गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले 16 दिसंबर को राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर काबिज होने के बाद माना गया कि पार्टी के अंदर जोश का संचार होगा और नए मुखिया की अगुवाई में पार्टी न सिर्फ नरेंद्र मोदी और अमित शाह की अजेय जोड़ी को परेशान करेगी, लेकिन आज तक ऐसा कुछ होता नहीं दिखा, 5 महीने पहले 3 राज्यों की विधानसभा चुनाव में जीत को छोड़ दिया जाए तो हर ओर भारतीय जनता पार्टी लगातार मजबूत होती चली गई जबकि कांग्रेस का दायरा सिमटता चला गया.

2014 में नरेंद्र मोदी जब केंद्र की सत्ता पर काबिज हुए तब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) महज 7 राज्यों में सत्ता में थी जबकि कांग्रेस की 13 राज्यों में सत्ता थी, लेकिन मार्च 2018 में 3 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की 22 राज्यों में सरकार चल रही थी तो कांग्रेस की सत्ता महज 4 राज्यों (पंजाब, कर्नाटक, मिजोरम और पुड्डुचेरी) में सिमट गई. हालांकि आज की तारीख में कांग्रेस की 6 राज्यों (राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और पुड्डुचेरी) में सरकार चल रही है.

लोकसभा चुनाव ने किया हताश

राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 543 संसदीय सीटों में से महज 52 सीटों पर ही जीत मिली. हालांकि 2014 की तुलना में उसके खाते में इस बार 8 सीटें (44 सीट) ज्यादा आईं. पार्टी के वोट शेयर में भी सुधार दिखा. इस बार आम चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 19.5 फीसदी रहा, जो 2014 के वोट शेयर (13.6 फीसदी) से ज्यादा है.

2019 में, कांग्रेस जहां 262 सीटों पर विजेता या उपविजेता की स्थिति में थी तो 2014 में वह 268 सीटों पर पहले या दूसरे स्थान पर रही थी. जबकि 10 साल पहले कांग्रेस 350 सीटों पर मजबूत स्थिति में थी. इस बार 11 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों (आंध्र प्रदेश, लक्षद्वीप, दिल्ली, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, चंडीगढ़, उत्तराखंड, त्रिपुरा, सिक्किम, राजस्थान, नागालैंड, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश) में खाता तक नहीं खुल सका.

पहली परीक्षा में ही फेल
2017 में कांग्रेस अध्यक्ष पर काबिज होने के बाद राहुल गांधी की बड़ी परीक्षा गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने की थी, लेकिन लगातार प्रयास के बाद भी वह गुजरात से बीजेपी की सत्ता नहीं झटक सके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में पार्टी लगातार छठी बार सत्ता में पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही. गुजरात के अलावा हिमाचल में कांग्रेस ने अपनी सत्ता गंवा दी.

2018 में कर्नाटक में बनी नंबर टू
2018 में कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव को छोड़ दिया जाए तो अलग-अलग मौकों पर 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव लड़े गए इनमें से 4 राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच आमने-सामने की लड़ाई थी.

साल की शुरुआत में फरवरी में त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में विधानसभा चुनाव लड़े गए जिसमें मेघालय में कांग्रेस ने अपनी सत्ता गंवा दी, जबकि 2 अन्य राज्यों में भी उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा. इसके करीब 2 महीने बाद दक्षिण भारत में कांग्रेस के एकमात्र गढ़ कर्नाटक में चुनाव हुए जहां उसने सत्ता गंवा दी, लेकिन साझे की सरकार में वह नंबर 2 हो गई.

12 मई को कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें सत्तारुढ़ कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी बनी, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बनने वाली बीजेपी को सत्ता पर काबिज होने से रोकने के लिए कांग्रेस ने जनता दल सेकुलर (जेडीएस) के साथ गठबंधन कर लिया.