36 वर्षों से संघर्ष कर कर्मचारी, समितियां नहीं बन पाई कर्मचारियों का समाधान

36 वर्षों से संघर्ष कर कर्मचारी, समितियां नहीं बन पाई कर्मचारियों का समाधान

भोपाल। राज्य सरकार द्वारा बनाई गई समितियां कर्मचारी समस्याओं का 'समाधानÓ नहीं बन पाई हैं। इसलिये वेतन विसंगति दूर करने को लेकर चर्चा में आई जीपी सिंघल आयोग की रिपोर्ट को लेकर कर्मचारी संशय में आ गये हैं। कर्मचारियों को डर सता रहा है कि पूर्व में बनी 4 समितियों की तरह इसकी सिफारिशें भी कहीं ठंडे बस्ते में न डाल दी जायें।

मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं कर्मचारी 

दरअसल, प्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारी बीते 36 वर्षों से वेतन विसंगति सहित कई दूसरी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। इसके साथ कर्मचारियों की दूसरी समस्याओं के निराकरण के लिये बीते 8 वर्षों में चार से अधिक समितियां बनाई गई, लेकिन इन समितियों द्वारा की गई अनुशंसाओं को लागू करने का साहस सरकार अब तक नहीं दिखा पाई है। इसमें 2020 में बनी जीपी सिंघल समिति भी शामिल है। प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने इस समिति की सिफारिशें प्राप्त होने तथा परीक्षण बाद लागू करने का दावा किया है। इसके बाद कर्मचारी संगठन सक्रिय हो गये हैं और जल्द सार्वजनिक व लागू करने की मांग करने लगे हैं। मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजी सुधीन नायक इस आयोग की कार्यप्रणाली पर यह कहते हुए सवाल खड़े कर दिये हैं कि जिसकी समस्याओं का समाधान करना था उन्हीं से आयोग ने वार्ता या मुलाकात करना जरूरी नहीं समझी है।  

परीक्षण व मंजूरी में लग सकता है एक साल

जानकारी के अनुसार वित्त विभाग के परीक्षण के बाद नए वेतन ढांचे को लागू करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। इस प्रक्रिया में करीब एक साल का समय लग सकता है। जबकि 2020 में तत्कालीन वित्त सचिव जीपी सिंघल वाली यह समिति रिपोर्ट तैयार करने में 4 साल का समय ले चुकी है।

समितियां बनी पर सामने नहीं आई रिपोर्ट

प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  ने रमेशचंद्र शर्मा की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। इस समिति ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी पर यह न तो सामने आई और ना ही इसे सरकार ने अब तक लागू करने की जरूरत ही समझी है।

नहीं निपट सका पदोन्नति का मसला

पदोन्नति में आरक्षण विवाद के निराकरण के लिये सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद सरकार ने मंत्रीमंडलीय समिति जरूर बनाई, लेकिन तीन बार की बैठक के बाद भी यह विवाद का निराकरण नहीं कर पाई। जबकि पदोन्नति के लिए आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के अधिकारियों—कर्मचारियों के संबंध में कर्मचारी संगठनों से सुझाव भी लिए गए थे।

3 माह का काम 19 माह बाद भी अधूरा

छठवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता सहित कर्मचारियों की अन्य  मांगों के निराकरण के लिये मप्र सरकार ने जनवरी 2023 में वित्त सचिव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। रिपोर्ट देने के लिये इसको 3 माह का समय दिया गया था। लेकिन यह समिति 19 माह बाद भी अपनी रिपोर्ट नहंीं दे पाई है।

इनका कहना है
सरकार द्वारा पहले भी कई समितियां बनाई गई हैं, लेकिन इसका लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल पाया है। सरकार को चाहिये कि वह जल्द इनकी सिफारिशों को लागू करे।
उमाशंकर तिवारी, प्रदेश सचिव
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ
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मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर मांग की है कि जीपी सिंघल आयोग की रिपोर्ट को तत्काल लागू किया जाय। यह इसलिये भी जरूरी माना गया कि पूर्व में बनी समितियों का हश्र किसी से छिपा नहीं है।
-अशोक पांडेय, अध्यक्ष मप्र कर्मचारी मंच

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