घर बैठे आसान ईलाज दे रहा असाध्य रोगों से मुक्ति

घर बैठे आसान ईलाज दे रहा असाध्य रोगों से मुक्ति

प्राकृतिक, आयुर्वेदिक, एक्यूप्रेशर, फिजियो थेरेपी एवं जडी-बूटियों का मिश्रण, हॉलिस्टिक एप्रोच, से जटिल रोगियों को त्वरित लाभ पहुंचा रहे वैद्यराज गोपाल चंद्र गुप्ता।

रोगी की मानसिक, शारीरिक व्याधियों के लक्षणों का आंकलन कर प्रभावी घरेलू नुस्खे के साथ निःशुल्क परामर्श दे रहे हैं।

आत्मदीप
भोपाल। एलौपैथी में चिकित्सकों से लम्बे समय तक परामर्श लेने और कई जांचे करवाने के बाद भी आपको मर्ज से निजात नहीं मिले तो ऐसे में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति कारगर हो सकती है। देश में आयुर्वेदिक, एक्यूप्रेशर, प्राकृतिक, फिजियो, जड़ी-बूटियों आदि की वैज्ञानिक जानकारी रखने वाले ऐसे अनुभवी वैद्य भी हैं जो सस्ते-सुलभ उपचार से गंभीर रोगियों को राहत पहुंचा रहे हैं।

हजारों रोगियों को असाध्य बीमारियों से छुटकारा दिला चुके हैं
ऐसे ही अनुभवी वैद्य हैं हजारों रोगियों को असाध्य बीमारियों से छुटकारा दिला चुके भोपाल के वैद्य गोपालचंद्र गुप्ता। वे पिछले 40 वर्षों से रोगियों को निशुल्क परामर्श दे रहे हैं। 72 वर्षीय गुप्ता ने बैंक प्रबंधक से सेवानिवृत होकर अपना जीवन सामाजिक सरोकार, गरीबों की सेवा एवं परोपकार को समर्पित कर दिया। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने आयुर्वेदिक एवं घरेलू आसान नुस्खे बताकर मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के हजारों नागरिकों को कारोना वायरस की चपेट में आने से बचाया। ऐसे अतुल्य सेवाकार्य के लिये उन्हें केंद्र व राज्य सरकार सहित कई प्रमुख संस्थाओं ने राज्य स्तरीय सम्मान से विभूषित किया।  

वैद्यराज गुप्ता किसी रोगी को गंभीर व्याधि होने पर कई जगह भटकने के बाद भी सही ईलाज नहीं मिलने पर उसे आयुर्वेदिक, प्राकृतिक, एक्यूप्रेशर, फिजियोथेरेपी एवं घरेलू औषधियों के मिश्रित उपचार से चमत्कारिक लाभ पहुंचाकर चकित कर देते हैं। उनके बताये घरेलू उपचार से त्वरित नतीजे देख गंभीर रोगी स्वयं हतप्रभ रह जाते हैं। स्वस्थ एवं चिंतामुक्त होकर वे इसे किसी सिद्धी या चमत्कार की तरह मानते हैं।

बीमारियों का जड़ से खत्म होने तक निशुल्क इलाज व परामर्श

वे मानव शरीर की बाहरी एवं आंतरिक संरचना को समझते हुये विभिन्न अंगों पर होने वाली बीमारियों एवं उनके लिये कारगर औषधियों का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन करते हैं। बेजोड़ घरेलू नुस्खे, सरल उपाय, व्यायाम, परहेज आदि बताकर वे असाध्य बीमारियों का जड़ से खत्म होने तक निशुल्क इलाज व परामर्श देते हैं। इतना ही नहीं, उपचार निर्धारित करते से पहले रोगी की उम्र, बल, प्रकृति, मनोदशा, नस, नाड़ी, वात, पित्त, कफ, त्रिदोष और भौतिक पंच तत्वों के साथ रोग के लक्षणों का समग्र विश्लेषण कर निश्चित अवधि के लिये उपचार प्रारंभ करते हैं। वे रोगी को घरेलू उपचार के माध्यम से जागरूकता पैदा कर शरीर में आई प्रत्येक विकृति का निदान करते हैं। इस प्रयोग से उनकी चिकित्सा पद्धति हॉलिस्टिक एवं सर्वसुलभ बन जाती है।
इन असाध्य रोगों में चमत्कारिक लाभ
रोगी को पीठ, हाथ, पैर, घुटने, कंधे, कमर, रीढ़, हड्डी, मांसपेशियों आदि मंे वर्षों पुराने असहनीय दर्द या सूजन होने पर वैद्यराज गुप्ता द्वारा सस्ता व सुलभ घरेलू उपचार दुर्लभ एवं अविश्वसनीय है। स्लिप डिस्क, साइटिका, सर्वाइकल, स्पोंडिलाइटिस, आर्थराइटिस, आस्टियो पोरोसिस, टेनिस एल्बो, रीढ़ के छल्लों में दर्द, अकडन व जकडन आदि में उनके सस्ते वैज्ञानित उपचार से त्वरित लाभ देख रोगी हतप्रभ रह जाते हैं। वात-पित्त, कफ जनित रोगों के इलाज में उन्हें विशेषज्ञता हासिल है। श्वसन रोग, साइनस, डायबिटीज, हृदय रोग, रक्तचाप, महिनों से नाक बंद, माइग्रेन, इन्फर्टेलिटी, नशा प्रवत्ति आदि के रोगियों में उनका उपचार कारगर सिद्ध हुआ है।    

मरीज को देख मर्ज को भांप लेना
वैद्यराज गुप्ता कहते हैं, ‘रोग का इलाज उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना महत्वपूर्ण है रोग का कारण जानना, फिर उसका ईलाज तय करना।’ उनकी उपचार सिद्धि का मूल स्त्रोत है भारत की गुरू-शिष्य परंपरा। हमारे यहां लिखित से ज्यादा ज्ञान गुरू से सीधा शिष्य को संप्रेषित होता आ रहा है। आयुर्वेद चिकित्सक में इसी परंपरा के माध्यम से असाध्य रोग एवं उसके निदान का आंकलन कर रोगी को स्थायी लाभ पहुंचाते हैं। पन्ना जिले के बघवार गांव मे महान संत कमलदास उनके गुरू रहे। वे बिना कोई पुस्तक देखे, स्वयं देशी दवायें बनाते थे। वे मरीज को देख उसका मर्ज भांप लेते थे। बैंक सेवा की शाखा खोलने जब उस गांव में पहुंचा तो उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। इससे पहले पिता गोकुल चंद्र गुप्ता से भी जड़ी-बूटियों से इलाज करना सीखा। वे शिक्षक होते हुये राजगढ़ जिले के गृहनगर लखनवास में आयुर्वेद वं देशी नुस्खों से ग्रामीणों को इलाज करते थे। तब वहां कोई डॉक्टर भी नहीं थे। एक महात्मा पिता के गुरू रहे। वर्षों तक कई डॉक्टरों से परामर्श और जांचे कराने के बावजूद जो लोग रोगमुक्त नहीं हो पाये, उन्हें ऐसे ही देशी व आयुर्वेदिक उपचार से स्थायी लाभ मिला।

जीव विज्ञान एवं आयुर्वेद की औपचारिक शिक्षा लिये बिना उपचार मे सिद्धहस्त वैद्यराज गुप्ता रोगियों से कहते हैं, रोग को मस्तिष्क में सेव मत करो, इलाज पर विश्वास रखो। गांवों में कहावत भी है- पैर गरम, पेट नरम, सिर ठंडा तो डॉक्टर को मारो डंडा। यानी आप स्वस्थ हो।  
केंद्रीय आयुष मंत्रालय सहित कई संस्थाओं से सम्मानित-
केंद्रीय आयुष मत्रालय द्वारा कोरोना काल में उत्कृष्ट आयुष क्वाथ (कोढ़ा) बनाने के लिये उन्हें राजस्थान औषधालय के साथ सम्मानित किया गया। डाबर इंडिया ने आयुर्वेद में विशिष्ट ज्ञान, धन्वंतरि हर्बल्स ने आयुर्वेद चिकित्सा में उनके योगदान के लिये धन्वंतरि एलाइट डॉक्टर्स क्लब का सदस्य बनाकर सम्मानित किया। अ.भा.मेडतवाल वैश्य समाज में राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व निर्वहन करते हुये उन्होंने कोरोना काल में हजारों समाजबंधुओं को रोगमुक्त भी किया। पीडित मानवसेवा के लिये उनके समर्पण को देख लायंस क्लब, साहित्य, संगीत व कला की मानक संस्था ‘मधुबन’ ने स्वर्ण जयंति समारोह में उन्हें श्रेष्ठ कला आचार्य की उपाधि से अलंकृत किया। उन्हें प्रतिष्ठित उद्धवदास मेहता चिकित्सा सेवा सम्मान भी मिला।

मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से कई असाध्य रोगी वैद्यराज गुप्ता से उपचार लेकर लाभान्वित हुये हैं। वे अपने आवास ए-191, इंद्रविहार, एयरपोर्ट रोड़, भोपाल पर रोज प्रातः 8 से 12 बजे तक एवं सायं 4 से 8 बजे तक निशुल्क चिकित्सा परामर्श दे रहे हैं। असाध्य रोगी उनसे मोबाइल नंबर- 9425018004 पर संपर्क कर सकते हैं।  
(लेखक आत्मदीप मध्यप्रदेश के पूर्व सूचना आयुक्त एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं )