Ganesh Chaturthi 2022 : शुभ मुहूर्त में कल घर-घर पधारेंगे गजानंद, जानें पूजन विधि, मंत्र और आरती

Ganesh Chaturthi 2022 : शुभ मुहूर्त में कल घर-घर पधारेंगे गजानंद, जानें पूजन विधि, मंत्र और आरती
गणेशोत्सव का पर्व 31 अगस्त बुधवार से प्रारंभ होने जा रहा है। गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इस कारण से हर वर्ष भाद्रपद चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्मोत्सव बड़े ही उत्साह और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि पर गणेश प्रतिमा की स्थापना के साथ 10 दिनों तक गणेशोत्सव का पर्व मनाया जाता है। फिर अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमा का विसर्जन करते हुए गणेशोत्सव पर्व संपन्न होता है। 

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी तिथि आती है, लेकिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी बहुत ही खास मानी जाती है। इस तिथि पर ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए सभी चतुर्थी में यह सबसे प्रमुख होती है। भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त में घर में गणपति की मूर्ति स्थापित की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का मानना है कि घर पर सुख-समृद्धि , शांति और बाधाओं को दूर करने के लिए घर पर गणपति की स्थापना और विधि-विधान के साथ गणपति की पूजा लाभकारी होती है।

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गणेश चतुर्थी तिथि, शुभ महूर्त और योग
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 30 अगस्त 2022 को दोपहर के 03 बजकर 34 मिनट पर होगी। फिर यह चतुर्थी तिथि 31 अगस्त को दोपहर  03 बजकर 23 मिनट पर खत्म हो जाएगी। पद्म पुराण के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म स्वाति नक्षत्र में मध्याह्न काल में हुआ था। इस कारण से इसी समय पर गणेश स्थापना और पूजा करना ज्यादा शुभ और लाभकारी होगा।

गणेश चतुर्थी शुभ योग
इस वर्ष गणेश उत्सव बड़े ही शुभ योग में मनाया जाएगा। गणेशोत्सव की शुरुआत 31 अगस्त बुधवार के दिन से हो रही है। शास्त्रों में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा-आराधना करने पर सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं फौरन ही दूर हो जाती हैं। 

इसके अलावा गणेश चतुर्थी पर रवि योग का संयोग भी बन रहा है। रवि योग में की जाने वाली पूजा सदैव लाभकारी होती है। इस दिन रवि योग 31 अगस्त को सुबह 06 बजकर 06  मिनट से लेकर 01 सितंबर की सुबह 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। वहीं अगर ग्रहों के योग की बात करें तो गणेश चतुर्थी के दिन चार प्रमुख ग्रह स्वराशि में मौजूद रहेंगे। गुरु अपनी स्वराशि मीन में, शनि मकर राशि में, बुध ग्रह स्वयं अपनी कन्या राशि में और सूर्यदेव स्वराशि सिंह में मौजूद होंगे। इस वजह से शुभ संयोग में गणेश स्थापना करने पर जीवन में वैभव, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होगी। 

कैसे होनी चाहिए भगवान गणेश की प्रतिमा
सार्वजनिक जगहों पर जैसे पंडालों में गणेश स्थापना के लिए भगवान गणपति की मूर्ति मिट्टी से बनी हुई होनी चाहिए।
घर और अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भगवान गणेश की मूर्ति मिट्टी के अलावा सोने, चांदी, स्फटिक और अन्य चीजों से बनी मूर्ति रख सकते हैं।
भगवान गणेश की प्रतिमा जब भी स्थापित करें तो इस बात का ध्यान रखें कि उनकी मूर्ति खंडित अवस्था में नहीं होनी चाहिए।
गणेशजी की मूर्ति में उनके हाथों में अंकुश,पाश, लड्डू, सूंड धुमावदार और हाथ वरदान देने की मुद्रा में होनी चाहिए। इसके अलावा उनके शरीर पर जनेऊ और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए।

गणेश मूर्ति स्थापना विधि

  • गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले जल्दी सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र पहनें।
  • फिर इसके बाद पूजा का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश का स्मरण करते हुए अपने कुल देवता का नाम मन में लें।
  • इसके बाद पूजा स्थल पर पूर्व की दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाएं।
  • फिर छोटी चौकी पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर एक थाली में चंदन,कुमकुम, अक्षत से स्वस्तिक का निशान बनाएं।
  • थाली पर बने स्वस्तिक के निशान के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हुए पूजा आरंभ कर दें।


पूजा करने से पहले इस मंत्र का जाप करें
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

गणेश जी की पूजा विधि
सबसे पहले भगवान गणेश का आवहन करते हुए  ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए चौकी पर रखी गणेश प्रतिमा के ऊपर जल छिड़के।
भगवान गणेश की पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों को बारी बारी से उन्हें अर्पित करें। भगवान गणेश की पूजा सामग्रियों में खास चीजें होती हैं ये चीजें- हल्दी, चावल, चंदन, गुलाल,सिंदूर,मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई,मोदक, फल,माला और फूल।
इसके बाद भगवान गणेश का साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजा में धूप-दीप करते हुए सभी की आरती करें।
आरती के बाद 21 लड्डओं का भोग लगाएं जिसमें से 5 लड्डू भगवान गणेश की मूर्ति के पास रखें और बाकी को ब्राह्राणों और आम जन को प्रसाद के रूप में वितरित कर दें।
अंत में ब्राह्राणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें।

पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करें
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||