इज़राइल के सहयोग से जोधपुर बनेगा देश में मॉडल

जयपुर। भारत में इज़राइली दूतावास की जल अटैशे सुनोआ अमसालेम ने गुरूवार को जोधपुर का दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य सलावास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एस.टी.पी.) से उपचारित अपशिष्ट जल के सटीक एवं टिकाऊ कृषि उपयोग हेतु पुन: उपयोग से संबंधित एक सहयोगी परियोजना पर चर्चा करना था।
इस दौरान जोधपुर नगर निगम आयुक्त सिद्धार्थ पालानीचामी ने समीक्षा ली जिसमें जोधपुर विकास प्राधिकरण , नगर निगम, रीको, कृषि और जल संसाधन विभाग, इज़राइली दूतावास के परियोजना भागीदार काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के प्रतिनिधि के अधिकारी उपस्थित रहे।
इज़राइल दूतावास के वरिष्ठ जल विशेषज्ञ नीरज गहलावत ने बैठक में वर्चुअली भाग लिया और इज़राइल के अपशिष्ट जल पुन: उपयोग के अनुभव और तकनीकी विशेषज्ञता साझा की।
पालानीचामी ने इज़राइली टीम के तकनीकी सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि जोधपुर नगर निगम उपचारित अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग और सतत जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में देश में अग्रणी बनने के लिए प्रतिबद्ध है।
बैठक के बाद प्रतिनिधिमंडल ने सलावास एस.टी.पी. का दौरा किया। इस अवसर पर राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की क्षेत्रीय अधिकारी सुकामिनी सोंगरा और पवन कुमार ने संयंत्र की कार्यप्रणाली एवं उपचारित जल की गुणवत्ता पर विस्तृत जानकारी दी।
सुनोआ अमसालेम ने उपचारित जल की गुणवत्ता पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह जल गुणवत्ता इज़राइल में प्राप्त गुणवत्ता के समान है। यदि प्रत्यक्ष पुन: उपयोग की व्यवस्था विकसित की जाए तो लगभग 2,500 हेक्टेयर कृषि भूमि को इस उच्च गुणवत्ता वाले जल से सिंचित किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि इज़राइल अपने 90 प्रतिशत से अधिक अपशिष्ट जल का उपचार करता है और उसका अधिकांश भाग कृषि सिंचाई में पुन: उपयोग किया जाता है। यह मॉडल विश्व स्तर पर सतत एवं कुशल जल प्रबंधन के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक माना जाता है।
इज़राइली दूतावास, जोधपुर नगर निगम, और सीईईडब्ल्यू के बीच यह सहयोग भारत में नवोन्मेषी, संसाधन-कुशल और टिकाऊ जल प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल अन्य भारतीय शहरों के लिए भी प्रदर्शन परियोजना के रूप में कार्य करेगी, जो उपचारित अपशिष्ट जल के कृषि एवं गैर-पीने योग्य उपयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं।इस दौरान सुकामिनी सोंगरा भी सुनोआ के साथ रही।