17 साल बाद बरी हुए मालेगांव विस्फोट के सभी आरोपी दोषमुक्त

नई दिल्ली। एनआइए कोर्ट ने आज अपने दिए गए फैसले में मालेगांव विस्फोट के मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित के अलावा मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय रहीरकर, सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ शंकराचार्य और समीर कुलकर्णी को भी एनआइए कोर्ट ने दोष मुक्त कर दिया है।
2008 में बम धमाका हुआ था, 101 लोग घायल हो गए थे।
29 सितंबर, 2008 को रमजान के महीने में मालेगांव के मुस्लिम बहुल इलाके के भीकू चौक में बम धमाका हुआ था। धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हो गए थे।
न्यायाधीश एके लाहोटी ने आदेश दिया है कि विस्फोट के सभी छह पीड़ित परिवारों को 2-2 लाख और सभी घायलों को 50,000 रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएं। एनआईए कोर्ट ने आरोपियों को यूएपीए आर्म्स एक्ट से भी बरी कर दिया।
बिना किसी ठोस सबूत के किसी को सजा नहीं दी सकती: कोर्ट
अपने फैसले में एनआईए कोर्ट ने कहा— आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं कर सकता। अदालत केवल धारणा और नैतिक सबूतों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती; इसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए।
मोटरसाइकिल में बम रखा गया था, यह सिद्ध नहीं
अदालत ने कहा, “अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस मोटरसाइकिल में बम रखा गया था। अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि घायलों की संख्या 101 नहीं, बल्कि 95 साल थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी।