बुंदेलखंड में उमा निष्क्रियता के मायने, समर्थकों में भी कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा 

बुंदेलखंड में उमा निष्क्रियता के मायने, समर्थकों में भी कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा 

भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है फिर भी दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती गायब हैं। खासतौर पर बुंदेलखंड में उमा की हाल के चुनावों में खासी सक्रियता दिखती रही है। इस बार वह नजर नहीं आ रहीं।

भतीजे को मंत्री बनाने से नहीं हुई खुश
छतरपुर-टीकमगढ़ जिलों की सीटों पर उनके समर्थकों में भी कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि चुनाव से ठीक पहले शिवराज सरकार में अल्प समय के लिए उनके भतीजे राहुल लोधी को जिस प्रकार से मंत्री बनाया गया है, उससे भी वह खुश नहीं हैं। समर्थक भी मान बैठे हैं कि इससे ज्यादा फिलहाल उमा दीदी के कोटे में कुछ आने वाला नहीं है। उमा की इस चुप्पी के अब तरह-तरह से निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। भतीजे राहुल लोधी को मंत्री बनाए जाने के अलावा भाजपा ने ग्वालियर अंचल की पिछोर विधानसभा सीट पर उमा भारती के समर्थक प्रीतम लोधी को टिकट दिया है, फिर भी वह सक्रिय नहीं दिख रही हैं।

नाखुशी का यह कारण
जानकारों का कहना है कि उनकी नाखुशी का एक कारण यह भी है कि प्रीतम को उस सीट से टिकट दिया गया जिसे कांग्रेस का अभेद किला माना जाने लगा है। हालांकि बुंदेलखंड के लोधी वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने प्रीतम को मौका देकर लोधी समाज को संदेश दिया है। वह भी तब जबकि ब्राह्मणों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में उन्हें पार्टी से निकाला गया था। कुछ दिनों पहले ही उन्हें पार्टी में फिर शामिल किया गया। बुंदेलखंड में उमा भारती अपना मजबूत दबदबा रखती हैं। तीन माह पहले छतरपुर के हनुमान मंदिर में पूजा करने आईं तब उत्साहित दिखीं थी। पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि इस बार वह चुनाव लड़ेंगी, नहीं बल्कि लड़वाएंगी।

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