आदिवासी स्वाभिमान के प्रतीक हैं राजा शंकर शाह कुँवर रघुनाथ शाह 

आदिवासी स्वाभिमान के प्रतीक हैं राजा शंकर शाह कुँवर रघुनाथ शाह 
आदिवासी स्वाभिमान के प्रतीक हैं राजा शंकर शाह कुँवर रघुनाथ शाह 

आदिवासी स्वाभिमान के प्रतीक हैं राजा शंकर शाह कुँवर रघुनाथ शाह 

घुघरी मुख्यालय सहित अनेक ग्रामों में मनाया गया बलिदान दिवस 

मंडला - आदिवासी स्वाभिमान शौर्य साहस पराक्रम और देशभक्ति के प्रतीक अमर शहीद राजा शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस घुघरी मुख्यालय सहित आसपास के अनेक ग्रामों में मनाया गया। शंकर शाह रघुनाथ शाह समिति घुघरी के तत्वाधान में प्रतिवर्ष 18 सितम्बर को घुघरी में बलिदान दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी समिति द्वारा भव्य आयोजन किया गया जिसमें राजा शंकर शाह कुँवर रघुनाथ शाह को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके वीरता पूर्ण जीवन को लेकर विविध उद्बोधन दिए गए। इस अवसर पर समिति संरक्षक बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा ने कहा कि हमारे आदिवासी समाज का इतिहास अमर बलिदानियों के पराक्रम और शौर्य गाथाओं से परिपूर्ण है। देश की आजादी की लड़ाई में हमारे आदिवासी जननायकों ने ब्रिटिश साम्राज्य की नीवें हिला दी थीं, उनकी वीरता पराक्रम और साहस के आगे ब्रिटिश सेनायें भी भयभीत रहती थीं। हमारे राजा शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह जी के पराक्रम से तो अंग्रेजी हुकूमत थर थर कांपती थी, अनेक लड़ाईया लड़ने के बाद भी जब हमारे इन महानायको को नहीं पकड़ा जा सका तो अंग्रेजों ने धोखे से उन्हें गिरफ्तार किया और अंग्रेजी हुकूमत को स्वीकार करने के लिए कहा लेकिन हमारे इन स्वाभिमानी महानायकों अंग्रेजों के आगे झुकने की बजाये अपना बलिदान देना स्वीकार किया। आज हमें मिली हमारी आजादी राजा शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान की ऋणी है। हमारा पूरा आदिवासी समाज इन शूरवीरों की शहादत से सदैव गौरवान्वित होता रहेगा।

3 साल में भी प्रतिमा नहीं लगवा पाई भाजपा सरकार -
बिछिया विधायक ने कहा कि हमारे जिन वीरों के बलिदान से हम गौरवान्वित होते हैं। आजादी कि लड़ाई में जिनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा है उन महापुरुषों की प्रतिमा तक भाजपा सरकार भूमिपूजन के बाद भी नहीं लगवा पा रही है। 22 नवंबर 2021 को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किला वार्ड राज राजेश्वरी परिसर में राजा शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा स्थापना के लिए भूमिपूजन किया था लेकिन बड़ा दुर्भाग्य है कि आज 3 साल बाद भी उक्त प्रतिमा नहीं लगाई गई है। यह दर्शाता है कि इस सरकार के मन में हमारे आदिवासी जननायकों के लिए कितना सम्मान है। इस सरकार का आदिवासी प्रेम मात्र दिखावा है छलावा है। अपने इन शूरवीरों की प्रतिमा लगवाने के लिए हम सरकार से हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ेंगे।

बलिदान दिवस के इस कार्यक्रम में विविध नरतक दलों व कौशल दलों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं जिनमें पारम्परिक आदिवासी नृत्य सहित शौर्य प्रदर्शन भी किया गया।अंत में सभी दलों को पुरुस्कार वितरण किया गया। बलिदान दिवस का यह कार्यक्रम घुघरी मुख्यालय के साथ साथ ग्राम छाता, पांडकला, ददरगांव सहित अन्य ग्रामों में भी आयोजित किया गया।