शुजलाम, सुफलाम की संकल्पना को चरितार्थ करता मध्यप्रदेश

डॉ. आनन्द प्रकाश शुक्ल
आज मध्यप्रदेश अपने स्थापना के 67वें वर्ष पर गौरवांवित और प्रफुल्लित है। मध्यप्रदेश की स्थापना 1 नवम्बर, 1956 को हुई थी। स्थापना वर्ष के समय से लेकर अभी तक की यात्रा में मध्यप्रदेश ने अनेक राजनैतिक, प्रशासनिक और सामाजिक परिवर्तनों के उतार-चढ़ाव देखे हैं। इस पूरी यात्रा में एक चीज स्थिर रही वह थी प्रदेश का भाईचारा और शांतिप्रियता। वास्तव में मध्यप्रदेश को शांति का टापू कहा जाता है क्योंकि यह देश का हृदय प्रदेश है। जहां शांति होती है वहीं विकास होता है। आज मध्यप्रदेश का हर नागरिक अपने प्रदेश की अतीत की स्मृतियों के साथ अब भविष्य के नये और सुनहरे सपनों में उत्साहित होकर आत्मनिर्भर और स्वावलंबी, समृद्ध मध्यप्रदेश बनाने के विचार को साकार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश की स्थितियां प्राकृतिक और सामाजिक दृष्टि से अन्य राज्यों से अलग हैं। मध्यप्रदेश देश के मध्य में स्थित होने के साथ-साथ प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर है। यहाँ की धार्मिक आस्थायें अत्यंत प्रभावी हैं और यहां विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है। यहां नर्मदा की अविरल धारा, ताप्ती और बेतवा का पावन इतिहास, क्षिप्रा का अमृत और महाकाल का वरदान हमें गौरव प्रदान करता है। स्थापना के बाद अपनी छः दशक से अधिक की यात्रा में मध्यप्रदेश को विकास के मामले में बड़े लंबे समय का इंतजार और संघर्ष का सामना करना पड़ा है। लेकिन पिछले 19 वर्षों में मध्यप्रदेश के विकास को नई गति मिली है।
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अभी बीते दो वर्षों में वैश्विक महामारी कोरोना के चुनौतीपूर्ण संकट का सामना करते हुए मध्यप्रदेश ने अपने आपको बाहर निकाला है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका प्रदेश की जनभागीदारी की रही है। कठिन स्थितियों में भी प्रदेश की जनता ने अपनी धैर्यता और संयम का परिचय देकर आर्थिक स्थिति को सुचारू रूप से बनाये रखने और सामाजिक ताने-बाने को ठीक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैश्विक आपदा से सीख लेकर आत्मनिर्भरता का संकल्प प्रदेश के हर व्यक्ति ने लिया है। यह आज की जरूरत है। संकट की इस घड़ी में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आपदा में अवसर का मंत्र दिया और आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ने का साहस भी दिया। मध्यप्रदेश ने इस मंत्र को आत्मसात करके आगे बढ़ने का संकल्प लिया।
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प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह खासियत है कि उन्होंने मुख्यमंत्री निवास पर सभी वर्ग की पंचायत बुलाईं और उनकी समस्याओं को करीब से समझा। उनसे चर्चा के पश्चात ही समस्याओं के अनुरूप योजनाओं का निर्माण कर उन्हें धरातल पर उतारने का काम किया है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मध्यप्रदेश की योजनाएं केवल शासन की मंशा से नहीं बल्कि जन आकाक्षांओं के आधार पर बनाई जाती हैं। यही कारण है कि प्रदेश की जनता पूरी तरह से उसमें रूची लेती है और लाभांवित भी होती है।
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प्रदेश में महिलाओं और बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान के लिये योजनाएं बनी हैं। बेटी के जन्म से लेकर संपूर्ण जीवन के साथ उनके सुखद जीवन की व्यवस्था की गई है। महिलाओं को स्व-सहायता समूह से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया। आज प्रदेश में 3 लाख से अधिक महिला स्व-सहायता समूह कार्य कर रहे हैं, इनमें लगभग 40 लाख महिलायें जुड़ी हुई हैं। उनके द्वारा तैयार किए गये उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की समुचित व्यवस्था राज्य सरकार कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि स्व-सहायता समूहों को अधिक से अधिक ऋण प्रदान करके उन्हें स्वावलंबी बनाया जाये।
प्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए निरंतर प्रयास किये गये हैं। एक समय था कि किसानों को 18 प्रतिशत पर ऋण मिलता था, शिवराज सरकार ने इसे घटाकर अब 0 प्रतिशत कर दिया है। अब किसानों को ऋण लेने के लिए किसी प्रकार की चिंता नहीं करनी होती है। ऋण से लेकर प्राकृतिक आपदा आने की स्थिति में भी प्रदेश की शिवराज सरकार अन्नदाता के पक्ष में सदैव खड़ी रहती है। यही कारण है कि प्रदेश का अन्नदाता अपने परिश्रम की पराकाष्ठा करके खूब अन्न उत्पादित कर रहा है। बीते कई वर्षों से मध्यप्रदेश में रिकार्ड उत्पादन और खरीदी का आंकड़ा अन्य प्रदेशों की तुलना में सबसे अधिक है। म.प्र. की उत्पादन क्षमता बढ़ने के परिणाम स्वरूप भारत सरकार ने अब तक 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश को प्रदान किया है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को पूरा सम्मान देते हुए किसानों के खाते में प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये किसान सम्मान निधि देना प्रारंभ किया है। इसमें मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने 4 हजार रुपये प्रतिवर्ष जोड़े हैं। इस प्रकार प्रति किसान को 10 हजार रुपये प्राप्त हो रहे हैं। इसके अंतर्गत 74 लाख 50 हजार से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल रहा है।
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मुख्यमंत्री की यह संवेदनशीलता कही जायेगी कि प्रदेश में गरीबों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। प्रदेश के लगभग 6 लाख 20 हजार से अधिक शहरी एवं ग्रामीण पथ व्यवसायियों को 10-10 हजार रुपये का ब्याज मुक्त ऋण उनकी आज़ीविका के लिये दिया गया है। प्रदेश के पथ व्यवसायियों के खातों में कोरोना काल में भी एक-एक हजार की आर्थिक सहायता अलग से दी गई थी।
प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये भी अनेक कार्य किये गये हैं। आज प्रदेश के हर जिले में प्राथमिक और शासकीय चिकित्सा केंद्रों का जाल बिछा हुआ है। जहां लोगों को समय पर उपचार मिल रहा है। प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत गरीबों को नि:शुल्क के लिये 2 करोड़ 55 लाख से अधिक नागरिकों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। यह कार्ड बनाने में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। प्रदेश में 20 मेडिकल कॉलेज स्थापित हो चुके हैं।
इसी प्रकार युवाओं को रोज़गार देने की दिशा में भी राज्य सरकार द्वारा अनेक कदम उठाये गये हैं। प्रदेश में उद्योगों में वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2021 में 40 प्रतिशत अधिक रोज़गार सृजित हुये हैं। रोज़गार सेतु पोर्टल के माध्यम से युवाओं एवं श्रमिकों के लिये रोज़गार की समुचित व्यवस्था की गयी है। युवाओं के पास स्वयं का अपना रोज़गार हो इसके लिए उनको मुख्यमंत्री स्व-रोज़गार योजना तथा मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के माध्यम से स्व-रोज़गार प्रदान करने का कार्य तेज गति से किया जा रहा है।
शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने की दृष्टि से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम राइज़ स्कूल योजना की शुरूआत की है। इसके प्रथम चरण की आधारशिला 29 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने रखी है, इसके अंतर्गत 69 स्कूल बनाये जायेंगे जिसकी लागत 2519 करोड़ रुपये है। संपूर्ण सुविधायुक्त यह आवासीय विद्यालय सभी वर्ग के बच्चों के लिए उनकी प्रतिभा निखारने और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनायेगा। यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की दूरदृष्टि को दर्शाता है। एक और महत्वपूर्ण निर्णय जो कि अत्यंत ऐतिहासिक है यह है कि मेडिकल की पढ़ाई अब हिन्दी माध्यम से भी होनी शुरू हो गई है। इसका सीधा लाभ ग्रामीण परिवेस के प्रतिभावान छात्रों को मिलेगा। इससे हिन्दी भाषा को बढ़ावा और युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का रास्ता सुगम हो जायेगा। ऐसा प्रयोग करने वाला देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश ही है।
सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी मध्यप्रदेश ने इतिहास रचने का काम किया है। महाकाल भगवान शिव के प्राचीन मंदिर को अब नया रूप प्रदान किया गया है। आधुनिक सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये अब यह अध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से वैश्विक स्तर का हो गया है। इस परिसर को श्री महाकाल लोक के नाम से अब जाना जाने लगा है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने अद्वैत परम्परा के प्रमुख आदि शंकराचार्य की प्रतिमा खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में स्थापना करने का निर्णय लिया है। इसी प्रकार प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो अभ्यारण्य में चीतों की पुनर्स्थापना कराकर पीएम नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश के गौरव को बढ़ाया है।
कुल मिलाकर देखा जाये तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं हेागी कि सीएम शिवराज के अथक प्रयासों से प्रदेश के सर्वहारा वर्ग का विकास हो रहा है। इसके लिए वे रात-दिन एक किये हैं। ऐसे में यह विश्वास व्यक्त किया जा सकता है कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर विकास का मॉडल बनकर अन्य राज्यों के लिए श्रेष्ट उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
आप सभी को मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर बधाई और शुभकामनाएं।
(लेखक के अपने विचार हैं)