पर्यटन के दृष्टि से समृद्धशाली मप्र, जानिए यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश में घूमने लायक कई पर्यटन स्थल हैं, जो दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करते हैं। इनमें बहुत सारे नेशनल पार्क भी सम्मलित हैं यहां पर विभिन्न प्रकार के जीव जन्तु भी पाये जाते हैं, मध्य प्रदेश में अनेक तीर्थ स्थल भी हैं, जहां आप दर्शन कर सकते हैं और घूम सकते हैं।
ग्वालियर फोर्ट
ग्वालियर मध्य प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है जिसकी स्थापना राजा सूरजसेन ने की थी। ग्वालियर अपने किले, स्मारकों, महलों और मंदिरों के लिए जाना जाता है। यह शहर चारों तरफ से खूबसूरत पहाड़ियों और हरियाली से घिरा हुआ है जो इसके गौरवशाली अतीत के बारे में बताता है। ग्वालियर का किला शहर का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। जय विलास महल और सूर्य मंदिर ग्वालियर के कुछ ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिन्हें देखने के बाद आप कभी नहीं भूल सकते। प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार तानसेन की समाधि भी यहाँ एक महत्वपूर्ण स्थान है। ग्वालियर पहुंचते ही आप इस किले की खूबसूरती देख सकते हैं। इस किले के अंदर मान मंदिर, गुजरी महल, पानी की टंकियां आदि मौजूद हैं। इसे भारत का जिब्राल्टर भी कहा जाता है।
कान्हा नेशनल पार्क
कान्हा नेशनल पार्क मंडला जिले में स्थित है, कान्हा नेशनल पार्क राजसी बाघ के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का घर है। पार्क में 300 से अधिक प्रजातियों के साथ कई प्रकार के वन्यजीव और कई पक्षी जीवन हैं। इस उद्यान की सबसे खास बात यह है कि यह मध्य प्रदेश में स्थित मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है और इस उद्यान का नाम एशिया के सर्वश्रेष्ठ उद्यानों की सूची में शामिल है। पार्क बड़े स्तनधारियों की 22 प्रजातियों का घर है और रॉयल बंगाल टाइगर यहाँ का एक प्रमुख आकर्षण है। तो आप मध्य प्रदेश घूमने आयें तो-कान्हा नेशनल पार्क अवश्य घूमें।
भेड़ाघाट पर्यटन स्थल
भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। भेड़ाघाट धुंआदार झरने के लिए जाना जाता है, जो पानी का एक विशाल झरना है जो 98 फीट की ऊंचाई से गिरता है। भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक जबलपुर के नजदीक है ,भेड़ाघाट अपनी संगमरमर की चट्टानों और झरनों के लिए प्रसिद्ध है। संगमरमर की चट्टानें लगभग 100 फीट ऊंची है और नर्मदा नदी के किनारे लगभग 3 किमी तक फैली हुई है। भेड़ाघाट में धुआंधार जलप्रपात एक अन्य लोकप्रिय आकर्षण है। माना जाता है जब सूरज की किरणें सफेद संगमरमर की इन चट्टानों पर पड़ती हैं और पानी की परछाई पड़ती है तो यह स्थान और भी खूबसूरत लगता है। चांदनी रात में यह और भी जादुई प्रभाव पैदा करता है। नर्मदा नदी इन संगमरमर की चट्टानों के माध्यम से धीरे-धीरे बहती है और थोड़ी दूरी के बाद एक झरने में मिलती है जिसे धुआंधार कहा जाता है।
खजुराहो
खजुराहो मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत छोटा शहर है, जो मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला और संस्कृति का अद्भुत उदाहरण है। मध्य प्रदेश में स्थित विश्व प्रसिद्ध खजुराहो अपने मंदिरों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने यहां के मंदिरों को भी वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया है। खजुराहो मध्य प्रदेश के अति प्राचीन पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां की बारीक नक्काशी और बेहतरीन मूर्तियां बेहद खूबसूरत हैं। मध्य प्रदेश में स्थित कामसूत्र की रहस्यमय भूमि भी अनादि काल से प्रसिद्ध है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
पंचमढ़ी
पचमढ़ी मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है। मध्य प्रदेश का यह एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी सतपुड़ा की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्थित होने के कारण सतपुड़ा की रानी के रूप में विश्व प्रसिद्ध है। पचमढ़ी के घने जंगलों, बड़े झरनों, शुद्ध स्वच्छ पानी के तालाबों, औपनिवेशिक शैली की वास्तुकला में बने आकर्षक चर्चों को देखने के लिए दुनिया भर से लोग यहां आते हैं।
उदयगिरि की गुफ़ाएँ
उदयगिरी की गुफाओं के बारे में बताया जाता है कि ये 10 वीं शताब्दी में जब उदयगिरी विदिशा धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया । उदयगिरि में कुल मिला कर 20 गुफाएँ हैं।इन्ही गुफाओं को काटकर छोटे- छोटे कमरों के रूप में बनाया गया है। साथ- ही- साथ मूर्तियाँ भी बनाई गई थी। आज के समय में वहा मुर्तियाँ नही देखी जा सकती, क्योंकि ऐसा यहाँ पाये जाने वाले पत्थर के कारण होता है। गुफा का प्रवेश द्वार को देख कर आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। इसलिए आप मध्य प्रदेश जाएं तो उदयगिरि की गुफ़ाएं अवश्य घूमें।
ओरछा
ओरछा मध्य प्रदेश में बेतवा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपने भव्य महलों और जटिल नक्काशीदार मंदिरों के लिए जाना जाता है। बुंदेला युग की याद दिलाने वाला मध्यप्रदेश पर्यटन को बढ़ावा देने वाला “ओरछा” भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इतिहास के शौकीनों के घूमने के लिए ओरछा को मध्य प्रदेश की सबसे अच्छी जगहों में से एक माना जाता है। जब भी आप ओरछा जाएंगे तो आपको यहां के विभिन्न ऐतिहासिक स्थान, मंदिर, किले और अन्य पर्यटक आकर्षण देखने को मिलेंगे, जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। ओरछा का किला अपने आकर्षण के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। इसके अलावा चतुर्भुज मंदिर, राज मंदिर और लक्ष्मी मंदिर ओरछा के मुख्य आकर्षण हैं जो यहां आने वाले लोगों के लिए यात्रा को यादगार बनाते हैं।
सांची का स्तूप
सांची का स्तूप भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से 46 किमी. की दूरी पर उत्तर-पूर्व में स्थित है, जो रायसेन जिले के साँची नगर में बेतबा नदी के तट पर स्थित है। यह स्थल अपनी आकर्षक कला कृतियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। सांची स्तूप को यूनेस्को द्वारा 15 अक्टूबर 1982 को विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया था। सांची स्तूप की स्थापना मौर्य वंश के सम्राट अशोक के आदेश से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी।इस स्थान पर भगवान बुद्ध के अवशेष रखे हुए हैं। सांची शहर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है। जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को शांति और आनंद की अनुभूति होती है और पर्यटक इस स्थान की ओर आकर्षित होते हैं।
भीम बेटका शैलाश्रय
भीमबेटका भारत देश के मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्व दिशा में है और सड़क मार्ग से यहां तक पहुंचना काफी आसान है। लोकल कंवेंस भी मिल जाता है। भीमबेटका भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं।क्योंकि इस स्थान को मानव जाति के विकास के प्रारंभिक चरण का स्थान माना जाता है। यही वह स्थान है जहां से पता चला कि प्राचीन काल में मनुष्य गुफाओं में रहता था। यह गुफाएं करीब 30,000 साल पुरानी है और गुफाओं की दीवारों पर कुछ चित्र बने हुए हैं जो यह बताते हैं कि अपने पूर्वज 30,000 साल पहले समझदार हो गए थे और आने वाली पीढ़ी के लिए दीवारों पर संकेत और संदेश लिखने लगे थे। एक मान्यता है कि पांडव वनवास के दौरान यहां आए थे और कुछ समय तक पांडवों ने यहां निवास किया। उस दौरान भीम पहरेदारी पर बैठा करते थे। इसलिए इस स्थान का नाम भीमबैठका पुकारा जाने लगा। लोगों को सन 1957 में जाकर पता चला कि पांडवों से पहले भी यहां पर मनुष्य रहा करते थे और यह तो मनुष्यों का 30,000 साल पुराना मोहल्ला है।
मांडु
मांडू पश्चिमि मध्य प्रदेश के मालवा में इंदौर से लगभग 90 किमी दूर एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यहां पर स्थित खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारकों की वास्तुकला विभिन्न शासन काल के प्रभाव को दर्शाती है। मानसून की रिमझिम बारिश, हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता के मध्य इन इमारतों की खूबसूरती पर्यटकों को और भी आकर्षित करती है । मांडू किला विंध्य पहाड़ी से लगभग 592 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, साथ ही यह देश का सबसे बड़ा किला भी कहा जाता है. बताया जाता है कि मांडू का यह किला करीब 82 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है, जो आकार में बिल्कुल एक जहाज की तरह लगता है। मॉनसून के दौरान मांडू किले में अलग ही प्रकार की खूबसूरती झलकती है। इसकी दीवारें 300 साल बाद भी जस की तस बनी हुई हैं। इस किले की खोज 10वीं शताब्दी में हुई थी. वहीं 15वीं शताब्दी में जब यहां मालवा का शासन शुरू हुआ तो यहां जहाज महल, हिंडोला महल और रूपमती मंडप जैसे कई महल बनवाए गए। इस किले पर अफगान शासक, मालवा, मोहम्मद शाह, मुगल और फिर मराठाओं द्वारा राज किया गया।
अमरकंटक
अमरकंटक हिंदुओं का प्रसिद्ध और बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जो मध्य प्रदेश के अनूपपुर और शहडोल के तहसील पुष्पराजगढ़ में मेकल की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ शहर है. यहां सुप्रसिद्ध अमरकंटक मंदिर है तथा नर्मदा नदी और सोनभद्र नदियों का उद्गम स्थल है।यह मंदिर 1065 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. पहाड़ों और घने जंगलों मे बीच इस मंदिर की खूबसूरती अलग ही प्रतीत होती है। आप मध्य प्रदेश घूमने आयें तो अमर कंटक के प्राकृतिक नज़ारो के बीच कई दर्शनीय स्थल घूम सकते है। इनमे से कुछ ये हैं दुग्ध धारा, श्री यंत्र मन्दिर, पतालेश्वर महादेव मन्दिर, माई की बगिया, कर्ण मन्दिर आदि। दुग्ध धारा के बारे में बताया जाता है यह अमरकंटक के कपिल धारा से 1 किलोमीटर नीचे जाने पर मिलता है इसकी उचाईं लगभग 10 फुट है। यहां से गिरने वाली पानी की धारा दूध जैसी प्रतीत होती है इसलिए ही इसे दुग्ध धारा प्रपात कहते हैं। यहीं श्री यंत्र मन्दिर देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, देवी काली, भुवनेश्वरी के चेहरे की विशाल मूर्ति है इसके साथ ही यहां 64 योगिनी भी मौजूद हैं ।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान
भारत का उन्नीसवां टाइगर रिजर्व पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में सतपुड़ा की पहाड़ी के दक्षिणी भाग में महाराष्ट्र के पास स्थित है। इसका नाम यहां बहती पेंच नदी के नाम पर पड़ा जो इस पार्क की जीवन रेखा है और इसे दो भागों में विभाजित करती है। अबुल फजल की प्रसिद्ध पुस्तक आईने अकबरी में भी इस पार्क का जिक्र मिलता है। यहां की जैव विविधता में काले बाघों और पैंथर के अलावा काले नेप्ड खरगोश, उड़ने वाली गिलहरी, सफेद आंखों वाले बाज, चितकबरे मालाबार हॉर्नबिल्स और साही इत्यादि हैं इसके अलावा यहां पेड़ पौधों की लगभग 1200 से भी अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं। आप अगर मध्य प्रदेश घूमने आयें तो मध्य प्रदेश के कुनों राष्ट्रीय उद्यान अपने बच्चों व परिवार के साथ अवश्य घूमें।
कुनो नेशनल पार्क
कुनों नेशनल पार्क मध्य प्रदेश में स्थित है। इस पार्क को 2018 में देश का नेशनल पार्क घोषित किया गया है। कुनों नेशनल पार्क की स्थापना वर्ष 1981 में की गयी थी । इस नेशनल पार्क में 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर यहां नामीबिया से लाये गए नर व मादा चीते भी छोड़े गये थे। मध्य प्रदेश में यह पार्क 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यदि आप भी कुनों नेशनल पार्क घूमने जाना चाहते हैं तो यहां पर आपको कई तरह के जानवर देखने को मिलेंगे। यहां पर आपको चीते, सियार, हिरण, नीलगाय, बड़े- बड़े सींग वाले मृग, जंगली सुअर, भेड़िया, बंदर, तेंदुआ ये सभी जानवर आपको करीब से देखने को मिलेंगे। तो अगर आप मध्य प्रदेश घूमने आ रहे हैं तो आप अपने बच्चों को इस जगह पर जरूर लाएं उन्हें यह जगह बहुत ही ज्यादा पसंद आयेगी। आये एक खास बात यह भी है कि यहीं से कुछ 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है रणथंभौर नेशनल पार्क आप खुद भी और अपने बच्चों को भी यहां पर जरूर ले जाएं यहां पर आपको बाघ, चीते, शेर ये सभी जानवर देखने को मिलेंगे।
पाताल पानी झरना
पातालपानी झरना भारत के मध्य प्रदेश राज्य में इंदौर जिले की महू तहसील में स्थित है। पाताल पानी झरना लगभग 300 फीट ऊंचा है और इंदौर-खंडवा ट्रेन मार्ग पर खिलती हरियाली के बीच में स्थित है, जो इसे देखने लायक भी बनाता है और इंदौर के पास सबसे प्रसिद्ध झरनों में से एक है। यह एक पिकनिक स्थल के रूप में भी लोकप्रिय है और यहां नियमित रूप से स्थानीय लोगों और पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। इस झरने और आसपास के क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता, मानसून के दौरान मनमोहक हो जाती है। हालाँकि ग्रीष्मकाल में पतझड़ लगभग सूख जाता है, मानसून इसे फिर से जीवंत कर देता है। आप जब भी मध्य प्रदेश घूमने आयें तो पाताल पानी झरना अवश्य घूमें।
लोटस वैली झील
लोटस झील मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में मौजूद है। यह इंदौर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद गुलावट गांव में स्थित है। इसलिए कई लोग लोटस वैली को गुलावट वैली या घाटी के नाम से भी जानते हैं। लोटस झील करीब 300 एकड़ में फैला हुआ है। यह एशिया की सबसे बड़ी लोटस वैली के रूप में भी फेमस है। मध्य प्रदेश के इस लोटस वैली की खूबसूरती इस कदर प्रचलित है कि यहां सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि देश के हर कोने से सैलानी घूमने के लिए पहुंचते हैं। जब 300 एकड़ में फैली लोटस झील में करोड़ों कमल के फूल खिलते हैं, तो इस दृश्य को सिर्फ और सिर्फ निहारने का ही मन करता है। कहा जाता है कि इस झील में हर साल कई किसान कमल के फूलों की खेती भी करते हैं और यहां के कमल के फूल देश के हर कोने से बेचे जाते हैं। यहां पर फ़िल्मों की भी शूटिंग होती है और साथ ही यह लोटस वैली झील प्री वेडिंग शूट के लिये भी एकदम परफेक्ट जगह मानी जाती है यहां पर लोग बहुत दूर – दूर से अपनी प्री वेडिंग शूट करवाने आते हैं। यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं लगती है। इस जगह पर आकर आपको जिस खुबसूरती और सुकून का आभास होगा वह शायद और कहीं नही होगा। तो इस बार जब आप अपनी छुट्टियों में कहीं घूमने का प्लान बनाएं तो उसमें मध्य प्रदेश के इस लोटस वैली झील को अवश्य शामिल करें और यहां पर आकर खूब इंजॉय करें।