रतलाम भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं, बड़ी बगावत के आसार
amit nigam
रतलाम, जिले की भारतीय जनता पार्टी में पिछले कुछ दिनों से सबकुछ ठीक नहीं है। पार्टी में अंदर ही अंदर असंतोष देखने को मिल रहा है। दीपावली मिलन समारोह के बहाने असंतोष बाहर निकल कर आ गया। दरअसल रतलाम विधायक चैतन्य कश्यप के द्वारा दीपावली के पूर्व भाजपा कार्यकर्ताओं का दीप मिलन समारोह आयोजित किया गया था। लेकिन इसके पश्चात कल शाम को एक और समानांतर दीप मिलन समारोह भाजपा कार्यकर्ताओ द्वारा आयोजित किया गया गया। कार्यक्रम में खास बात यह रही कि मंच पर मुख्य अतिथि भगवान महाकाल एवं श्री राम को बनाया गया तथा सम्मेलन का उद्देश्य राम मंदिर एवं महाकाल लोग काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए आभार प्रकट करना एवं सर्व धर्म को एकजुट करना बताया गया।
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विधायक महापौर ने बनाई दूरी निगम चुनाव में उपेक्षित कार्यकर्ताओं ने दिखाया दम
इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि कार्यक्रम भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी की उपस्थिति में हुआ। साथ ही इस कार्यक्रम भाजपा के वही कार्यकर्ता दिखे, जो नगर निगम चुनाव के दौरान उपेक्षित किए गए अथवा इसके पूर्व से ही हासिए पर डाल दिए गए हैं। इसके अलावा कार्यक्रम में भाजपा संगठन का कोई भी पदाधिकारी कोई भी पार्षद, कोई भी मंडल अध्यक्ष तथा विधायक चैतन्य काश्यप महापौर प्रहलाद पटेल अभी अनुपस्थित दिखाई दिए। इस संदर्भ में वरिष्ठ भाजपा नेता हिम्मत कोठारी का कहना था कि हमने सभी को निमंत्रण दिया था वह नहीं आए। आने वाले समय में आ जाएंगे।
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दो भागों में बंटी हुई दिखाई दे रही भाजपा
एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जी जान से लगी है वहीं दूसरी ओर जिले में पार्टी स्पष्ट रूप से दो भागों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। भाजपा का यह सम्मेलन भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक घमासान का संकेत देता है। उल्लेखनीय की महापौर चुनाव में भी भाजपा को काफी मशक्कत करना पड़ी थी और काफी कम मार्जिन से भाजपा ने यह चुनाव जीता था। ऐसे में विधायक के दीपावली मिलन समारोह के पश्चात यह समानांतर सम्मेलन भाजपा के लिए अच्छे संकेत पैदा नहीं कर रहा है। इस संदर्भ में विधायक चैतन्य काश्यप महापौर प्रह्लाद पटेल एवं अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं से चर्चा करनी चाहिए तो उनके द्वारा दूरी बना ली गई। कुछ लोगों के मोबाइल फोन बंद आए उसने बोला कि भोपाल मे हूं, तो कुछ ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। ऐसे में यदि पार्टी में ये स्थिति बनी रही तो आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।