बुरहानपुर में आदिवासियों ने धनुष-बाण, फरसे और कुल्हाड़ी लेकर जुलूस निकाला, जानिए क्या है मामला

बुरहानपुर, बुरहानपुर में फॉरेस्ट टीम के खिलाफ आदिवासी धनुष-बाण, कुल्हाड़ी और फरसा लेकर सड़क पर उतर आए। फॉरेस्ट टीम जंगल में पेड़ काटे जाने पर सर्च वारंट लेकर पहुंची थी। महिलाओं ने टीम से झूमाझटकी की और पथराव भी किया।
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घटना बुरहानपुर जिले के सीवल की है। टीम पर इस एरिया में पहले भी हमले हो चुके हैं। नावरा रेंजर पुष्पेंद्र जाधव ने बताया कि नेपानगर आरओ और टीम सर्च वारंट लेकर सीवल पहुंची थी। हमें खबर मिली थी कि सीवल में 1 महीने से लगातार सागौन के जंगल की अवैध कटाई हो रही है। कुछ आदिवासियों ने अतिक्रमण कर रखा है। टीम के यहां पहुंचते ही महिलाएं जमा हो गईं और विवाद करने लगीं। महिलाओं ने टीम पर पथराव कर दिया। फॉरेस्ट टीम मौके से वापस लौट आई और सीधा नेपानगर थाने जाकर इसकी शिकायत की। बताया जा रहा है कि टीम के नेपानगर जाते ही सुबह 10 बजे जंगल में छिपे बैठे अतिक्रमणकारियों ने सीवल में धनुष-बाण, फरसे और कुल्हाड़ी लेकर जुलूस निकाला।
मुख्य नेता, उसकी पत्नी ने किया पथराव
बुरहानपुर एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने कहा, सीवल में आदिवासियों के मुख्य नेता सूडिय़ा, उसकी वाइफ, भाई प्रताप और 25 से 30 महिलाओं ने पथराव किया। जो लोग जंगल काट रहे थे, वे इकट्?ठा होकर बाहर आए और वापस जंगल में चले गए, इस पर भी पुलिस संज्ञान ले रही है। एक महीने से भी ज्यादा समय से 200 से अधिक अतिक्रमणकारी नावरा रेंज के सांईखेड़ा गांव से सटी वन विभाग की बीट-266 में छिपे हुए हैं। यहां रहकर वे लगातार जंगल की कटाई कर रहे हैं। इस एरिया में सागौन के पेड़ बड़े पैमाने पर हैं। सागौन के पेड़ में दीमक नहीं लगती। लकड़ी मजबूत होती है और ये फिनिशिंग भी अच्छी देती है। इसकी इसी खासियत की वजह से इसे फर्नीचर बनाने में ज्यादा उपयोग किया जाता है। सागौन की लकड़ी की बाजार में अच्छी कीमत भी मिल जाती है।
खरगोन और बड़वानी से भी अतिक्रमणकारी आकर बस गए
3 साल में फॉरेस्ट और पुलिस टीम पर 10 से ज्यादा हमले हो चुके हैं। इन हमलों में कई बार ग्रामीण भी घायल हुए हैं। इसी महीने 11 अक्टूबर को जामुन नाला, 19 अक्टूबर को बाकड़ी में वनकर्मियों पर हमला हो चुका है। बुरहानपुर में खरगोन और बड़वानी से भी अतिक्रमणकारी आकर बस गए हैं।
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इालिए हो रहा विवाद
2006 में वनाधिकार अधिनियम लागू हुआ है। इसके तहत आदिवासियों को वनाधिकार के पत्र यानी जमीन के पट्टे दिए जाते हैं। जनजातीय विभाग के अनुसार, वनाधिकार अधिनियम 2006 लागू होने के बाद से पट्टा वितरण प्रोसेस चालू कर दी गई थी। तब से लेकर अब तक जिले में 8005 वनाधिकार पत्र ऐसे पात्र दावेदारों को दिए गए हैं, जो 2005 से पहले वन क्षेत्र में काबिज थे, लेकिन यहां धीरे-धीरे बाहरी अतिक्रमणकारी आकर बसते गए और कई फर्जी दावे भी लगा दिए गए।खास बात यह है कि जिले में सबसे अधिक नेपानगर क्षेत्र में करीब 3 हजार से ज्यादा पट्टे बंटे हैं। इसमें नेपानगर, सीवल, मांडवा, सागफाटा, नावरा, सांईखेड़ा, गोलखेड़ा सहित अन्य वन क्षेत्र शामिल हैं। जबकि, अन्य पट्टे बुरहानपुर और खकनार क्षेत्र में बंटे हैं। 5944 पेंडिंग हैं, लेकिन इस पेंडेंसी की मुख्य वजह यह है कि इसमें कई दावेदार 2005 के बाद आकर जिले में बसे हैं या फिर किसी के परिवार ने एक बार लाभ ले लिया है, उसी परिवार का दूसरा सदस्य लाभ लेने के चक्कर में है।