सुप्रीम कोर्ट ने कहा-कर्जदार को सुने बिना खाता फ्राड घोषित ना करें बैंक

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि लोन लेने वाले ग्राहकों के अकाउंट को फ्राड घोषित करने से पहले उन्हें सुना जाना चाहिए। यह फैसला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक याचिका पर सुनाया गया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2020 में तेलंगाना हाई कोर्ट के दिए गए फैसले को सही माना।
अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि फ्राड के रूप में अकाउंट्स का क्लासिफिकेशन करने से बोरोअर्स यानी लोन लेने वालों की लाइफ पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए, ऐसे व्यक्तियों को सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑडी ऑल्टरम पार्टम के प्रिंसिपल को भी पढ़ा जाए। ऑडी अल्टरम पार्टेम का मतलब नेचुरल जस्टिस का प्रिंसिपल है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति बिना सुनवाई के अपराधी घोषित नहीं किया जाएगा। इस प्रिंसिपल में हर व्यक्ति को सुनवाई का मौका मिलता है।
आरबीआई ने 2016 में जारी किया था सर्कुलर
2016 में आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें बैंकों को विलफुल डिफॉल्टर्स के खातों को फ्रॉड घोषित करने की अनुमति दी गई थी। आरबीआई के इस कदम को कई हाई कोर्ट में चुनौती मिली थी।
पूरा मामला
दरअसल, एसबीआई ने तेलंगाना हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। तेलंगाना हाईकोर्ट ने साल 2020 में राजेश अग्रवाल की याचिका पर फैसला सुनाया था कि किसी भी अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने से पहले अकाउंट होल्डर को सुनवाई का एक मौका दिया जाना चाहिए।