देशभर में आपदाएं रोकेगी मप्र में तैयार हुई प्रणाली 

 देशभर में आपदाएं रोकेगी मप्र में तैयार हुई प्रणाली 

यह आम लोगों के साथ सरकार के लिए भी काफी उपयोगी साबित होगा

भोपाल। मप्र की व्यावसायिक राजधानी इंदौर के प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी कालेज श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एसजीएसआइटीएस) ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है, जो भविष्य में आने वाली आपदा रोकने में सहायता करेगी। दरअसल, संस्थान के इन्क्यूबेशन सेंटर में कार्य करने वाले सीएस माइंड स्टार्टअप ने यह आपदा प्रबंधन प्रणाली विकसित की है, जो स्थानीय प्रशासन से प्राप्त अनुसंधान और जानकारी पर आधारित है।

इंदौर व देश के अन्य शहरों के लिए लांच किया जाना है
इस प्रणाली को एसजीएसआइटीएस के पूर्व प्रोफेसर व डायरेक्टर डा. पीके चांदे के गाइडेंस में तैयार किया गया है। प्रणाली को अब स्थानीय प्रशासन की मदद से इंदौर व देश के अन्य शहरों के लिए लांच किया जाना है। यह प्रणाली फिक्की, एशियाई आपदा तैयारी केंद्र (एडीपीसी) और गेट्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता सारथी में भी विजेता बन चुकी है। नईदुनिया सिटी ने प्राकृतिक आपदा दिवस के अवसर पर डा. पीके चांदे से आपदा प्रबंधन प्रणाली पर चर्चा की।

सभी विभाग समन्वय से कर सकेंगे काम
प्रो. चांदे ने बताया कि देश में आपदा प्रबंधन और आपदा के दौरान नागरिकों की सुरक्षा के लिए फिलहाल कोई सटीक व्यवस्था नहीं है। आज हम बात करते हैं कि जापान के पास यह तकनीक है, अमेरिका के पास यह नई तकनीक है, लेकिन हम खुद अपने देश में क्यों नई तकनीक नहीं खोजते? इसी जिद के साथ हमने आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए डिजास्टर एंड रेसिलियंस मैनेजमेंट प्लेटफार्म तैयार किया है। यह आम नागरिकों के साथ सरकार के लिए भी काफी उपयोगी साबित होगा। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें सभी विभाग एक साथ मिलकर काम कर सकेंगे। अगर कोई घटना घटती है, तो जल्द ही उस पर एक्शन लिया जा सकेगा। दरअसल, अब तक नगर निगम, अस्पताल, प्रशासन, एनडीआरएफ, पुलिस, और अग्निशमन सेवाएं अलग-अलग स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं। ऐसे में इनमें समन्वय नहीं हो पाता। जब तक पदेन कलेक्टर का आदेश न हो, तब तक संयुक्त रूप से काम ही नहीं होता। इसलिए हमने यह प्लेटफार्म बनाया है, जो किसी एक शहर के स्तर पर सभी विभागों को जोडक़र आपदा से निपटने में लगा देगा।

नागरिकों व सरकार को होगी आसानी
इस प्लेटफार्म के लिए एक कंट्रोल रूम तैयार किया जाएगा, जहां शहर का गूगल मैप स्क्रीन पर प्रदर्शित होता रहेगा। इसके अलावा नगर निगम की 311 एप में एक विकल्प डिजास्टर मैनेजमेंट का रहेगा, जहां कोई भी व्यक्ति किसी घटना का वीडियो, फोटो, आडियो और लिखित में जानकारी प्रदान कर सकेगा। यह जानकारी जैसे ही अपलोड होगी, कंट्रोल रूम में कंट्रोलर को अलर्ट नोटिफिकेशन जाएगा। इसके बाद कंट्रोलर वीडियो के माध्यम से घटना कैसी है और वहां किस दल को भेजना है, यह तय करते हुए तुरंत गूगल मैप के जरिए घटनास्थल के आसपास अस्पताल, पुलिस थाना, फायर स्टेशन और अन्य विभागों को अलर्ट जारी करेगा। यह सूचना मिलते ही संबंधित व्यक्ति भी इन वीडियो और सूचना को आनलाइन लिंक पर देख सकेंगे और जरूरत अनुसार टीम को घटनास्थल तक पहुंचने के लिए गाइड कर सकेंगे। कंट्रोलर गूगल मैप के जरिए संबंधित टीम पर भी नजर रख पाएगा। इससे सभी विभागों को घटना की गंभीरता को समझने में आसानी होगी। साथ ही तुरंत रेस्क्यू आपरेशन चलाने में भी आसानी होगी। इस एप का उपयोग करके किसी भी छोटी या बड़ी घटना की जानकारी अपलोड की जा सकेगी। कंट्रोलर जरूरत अनुसार जल्द ही संबंधित व्यक्ति के पास मदद भेज देगा।

तीन मौलिक सिद्धांतों के साथ होगा काम
इस प्लेटफार्म को तीन मौलिक सिद्धांतों सहयोग, समन्वय और सहभागिता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इन सिद्धांतों के कारण सभी विभाग बिना किसी की अतिरिक्त स्वीकृति के सूचना मिलते ही तुरंत एक्शन ले सकेंगे। अगर यह सुविधा लागू हो जाती है, तो न्यूनतम संचार और अधिकतम स्पष्टता के साथ कार्य किया जा सकेगा। इससे नागरिक और सरकार, दोनों को काफी सुविधा होगी। हालांकि इसे लागू करने के लिए फिलहाल यह नहीं तय हो पाया है कि इसका कंट्रोल रूम किस विभाग में बनाना है। स्थानीय प्रशासन की मदद से यह प्रणाली इंदौर में शुरू होने के बाद देशभर में शुरू की जाएगी। इस व्यवस्था को सिटी स्तर पर ही लागू किया जाएगा।

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