भारतीय सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल करेगी अमेरिकी सेना, दोनों देशों के बीच समझौता
नई दिल्ली। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे में भारत और अमेरिका के बीच सेमीकंडक्टर चिप्स को लेकर समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत भारत को अपना पहला राष्ट्रीय सुरक्षा सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र मिलेगा, जिसका निर्माण अमेरिका के द्वारा अगले साल यानि की 2025 तक किया जाएगा, इसका नाम शक्ति रखा गया है। इस संयंत्र में बनी सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और उसके सैन्य सहयोगी देशों की सेनाएं भी करेंगी।
भारतीय स्टार्टअप की सराहना
दोनों देशों के बीच में रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी को और भी ज्यादा मजबूत किया जाएगा। इस समझौते के लिए अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ने दो भारतीय उद्यमियों, विनायक डालमिया और वृंदा कपूर के स्टार्टअप पर भरोसा जताया है। इस स्टार्टअप के पास सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने की तकनीक है, इसके द्वारा बनाई गई यह चिप्स अमेरिका के सहयोगी देशों और भारत की सेना के लिए उपयोगी होंगी। इस समझौते के तहत यह स्टार्टअप अमेरिकी रक्षा प्रमुख जनरल एटॉमिक्स के साथ काम कर रहा है। दरअसल, इस समझौते की नींव पीएम मोदी की 2023 की अमेरिका यात्रा से ही शुरू होती है।
दुनिया का पहला मल्टीचिप मिलिट्री फैब
दोनों देशों ने संयुक्त बयान देकर इस मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया था। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के सहयोग से बनने वाला यह दुनिया का पहला मल्टीचिप मिलिट्री फैब होगा। एडवांस्ड सेंसिंग इन्फ्रारेड चिप्स का इस्तेमाल नाइट विजन, मिसाइल सीकर्स, अंतरिक्ष सेंसर, हथियार स्थलों, सैनिकों के हाथ से पकड़े जाने वाले हथियारों और ड्रोन के लिए किया जाएगा। इसके अलावा एडवांस शक्तिशाली चिप्स का इस्तेमाल उपग्रहों, ड्रोन, लड़ाकू विमानों, छोटे उपग्रहों, इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, डेटा केंद्रों और रेलवे इंजनों में किया जाएगा।
2025 तक शुरु होगा संयंत्र,700 लोगों को रोजगार मिलेगा
2025 तक इस संयंत्र को शुरु करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके माध्यम से पहले चरण में 50 हजार चिप्स का निर्माण किया जाएगा। इसके शुरू होने पर करीब 700 लोगों को रोजगार मिलेगा।
भारतीय सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए यह स्वागत योग्य कदम:कोणार्क भंडारी
इस समझौते पर बात करते हुए कार्नेगी इडिगा के कोणार्क भंडारी ने बताया कि इस फैब के बारे में फिलहाल कोई ज्यादा जानकारी तो नहीं है लेकिन भारतीय सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए यह एक स्वागत योग्य कदम है। इस संयंत्र के साथ भारत और अमेरिका अपनी सेनाओं के अलावा सहयोगी सेनाओं को भी चिप्स मुहैया कराएंगी, जो की भविष्य के लिए भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।