कुपोषण रोकने में असफल विभागों के प्रयास
भोपाल। मध्य प्रदेश में कुपोषण की जद में है। सरकारी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पिछले 3 महीने में 80 हजार से अधिक अति गंभीर और मध्यम गंभीर कुपोषित बच्चे मिले हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग ने रुटीन प्रक्रिया के तहत प्रदेशभर में रजिस्टर्ड 6 साल तक के बच्चों का भी वजन कराया है। अब कुपोषण मिटाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग अभियान चलाएगा। जिससे कुपोषित बच्चों को पोषित किया जा सके।
जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रदेशभर अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर 2022 महीने में रुटीन प्रक्रिया चलाया। जिसमें अलग-अलग संभागों से बच्चे कुपोषित मिले। इन तीन महीने में 80 हजार 347 बच्चे कुपोषण का शिकार हुए हैं। अब इसे सरकार की या सरकारी सिस्टम की लापरवाही कहा जाए।
संभागवार स्थिति
भोपाल संभाग में 1008 अत्यंत गंभीर, 3129 मध्यम गंभीर बच्चे मिले। वहीं चंबल संभाग में 924 अत्यंत गंभीर, 2599 मध्यम गंभीर बच्चे, ग्वालियर संभाग में 1057 अत्यंत गंभीर, 4132 मध्यम गंभीर, इंदौर संभाग में 6192 अत्यंत गंभीर, 15,233 मध्यम गंभीर, जबलपुर संभाग में 3224 अत्यंत गंभीर, 10,254 मध्यम गंभीर, नर्मदपुरम संभाग में 1088 अत्यंत गंभीर, 3272 मध्यम गंभीर, रीवा संभाग में 2028 अत्यंत गंभीर, 5485 मध्यम गंभीर, सागर संभाग में 2174 अत्यंत गंभीर, 7548 मध्यम गंभीर, शहडोल संभाग में 785 अत्यंत गंभीर, 2715 मध्यम गंभीर और उज्जैन संभाग में 1078 अत्यंत गंभीर, 5162 मध्यम गंभीर बच्चे सामने आए हैं।
1 फरवरी को पोषित अभियान चलाने जारी हुए आदेश
अब कुपोषण मिटाने के लिए मध्य प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग अभियान चला रहा है। 1 फरवरी को सभी कलेक्टरों को आदेश दिए गए हैं, जिसमें 31 मार्च तक इन सभी गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषित बनाने के निर्देश दिए हैं। आदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, संभागीय संयुक्त संचालक, जिला कार्यक्रम अधिकारी को भी दिया गया। अब देखने होगा कि बच्चों को अधिकारी कब तक पोषित कर पाते हैं। एमपी के आंगनबाडिय़ों में अति-कुपोषित बच्चों को अस्पताल भेजने के निर्देश दिए गए हैं। आज से अभियान शुरू होगा, बच्चों को 14 दिन के लिए अस्पताल में रखा जाएगा। आंगनबाड़ी में वजऩ और नापतोल कर चिन्हित किया जा रहा है। 31 मार्च तक कुपोषण ख़त्म करने को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि हम कोशिश करते है, जो गंभीर हो उन्हें अस्पताल भेजा जाए। कुपोषण वार्ड में निशुल्क इलाज व्यवस्था है।