निकाय चुनाव: महापौर पद के दावेदारों ने बढ़ाई पार्टी की परेशानी

निकाय चुनाव: महापौर पद के दावेदारों ने बढ़ाई पार्टी की परेशानी

चुनाव में सांसद असदुद्दीन ओवैसी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाएंगे

ताई-भाई-शंकर-सिंधिया गुट में फंसा पेंच

भाजपा चार गुटों को साधकर मेयर पद का उम्मीदवार करेगी खड़ा

भोपाल। नगरीय निकाय की आरक्षण प्रक्रिया संपन्न होने के बाद भाजपा और कांग्रेस से महापौर पद के दावेदार सक्रिय हो गए हैं। वहीं टिकट के लिए अभी से घमासान मच गया है। कांग्रेस के नेता जहां एक ओर मोर्चा खोले हुए हैं। इधर, भाजपा नेताओं में भी खींचतान मची हुई है। इंदौर में मेयर पद के लिए किसे टिकट दिया जाए, इस पर अब भाजपा में तना-तनी हो रही है। इंदौर अब तक भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय और सुमित्रा महाजन के बीच बंटा हुआ होता था, लेकिन, अब दो और गुटों के उभरने से पार्टी की मुश्किल बढ़ गई है। एक गुट सांसद शंकर लालवानी का और दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के नेताओं का। इन दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं ने भी महापौर पद के टिकट की उम्मीद लगा रखी है। भाजपा को अब इन चार गुटों के नेताओं को साधकर मेयर पद का उम्मीदवार खड़ा करना है। इस स्थिति पर कांग्रेस ने भाजपा पर गुटबाजी का तंज कसा है। भाजपा में मचा घमासान इंदौर में मेयर पद के टिकट के लिए भाजपा में घमासान दिखाई देने लगा है। दरअसल, तीनों वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय, सुमित्रा महाजन और शंकर लालवानी अपनी-अपनी बात पार्टी के सामने रख रहे हैं। पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन जहां पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा, सुदर्शन गुप्ता और मधु वर्मा की पैरवी कर रही हैं, तो वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय रमेश मेंदोला और जीतू जिराती के लिए मेयर का टिकट चाहते हैं। इस बीच शंकर लालवानी ने किसी नए चेहरे को टिकट देने की वकालत कर दी है। इन तीनों नेताओं के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी टिकट की आस लगाए बैठे हैं। शहर में सिंधिया समर्थक मोहन सेंगर भी मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। वे विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।

कांग्रेस ने भाजपा पर कसा तंज

भाजपा में चल रहे इस कोल्डवॉर पर कांग्रेस चुटकी ले रही है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है कि शहर की भाजपा त्रिशंकु स्थिति में पहुंच गई है। ताई-भाई और शंकर, तीनों गुट शहर पर अपना कब्जा करना चाहते हैं, जिससे नगर सरकार उनके हिसाब से चल सके। वहीं अब सिंधिया गुट भी सक्रिय दिखाई दे रहा है, ऐसे में भाजपा में गुटबाजी साफ दिख रही है। कांग्रेस पर गुटबाजी का आरोप लगाने वालों को अब अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।

सांसद ने किया खींचतान से इनकार

उधर, भाजपा किसी भी तरह की खींचतान से इनकार कर रही है। भाजपा के सांसद शंकर लालवानी का साफ कहना है कि पार्टी में खींचतान जैसी कोई स्थिति नहीं है। बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है जिसमें आंतरिक लोकतंत्र में परिवार का भाव है। पार्टी में किसी भी बात को लेकर रस्सा-कशी नहीं है। पार्टी में बहुत सारे अच्छे कार्यकर्ता हैं जो महापौर पद के उम्मीदवार हो सकते हैं। इसलिए पार्टी सभी की रायशुमारी से और विचार करके ही टिकट तय करेगी और जिसको भी टिकट मिलेगा उसे सभी वरिष्ठ नेता अपना समर्थन देंगे।

गैर गुट वाले को मिलेगा टिकट

बहरहाल, ये बात किसी से छिपी नहीं हैं कि कैलाश विजयवर्गीय और सुमित्रा महाजन के बीच की तनातनी पार्टी के अंदर ही नहीं, बल्कि पार्टी के बाहर भी दिखाई देती रही है। ताई और भाई की इसी लड़ाई में कई विधायक मंत्री तक नहीं बन पाए। इस बार भी कैलाश विजयवर्गीय के राइट हैंड रमेश मेंदौला का नाम मंत्री पद की दौड़ में शामिल रहा, लेकिन मंत्री पद दीदी यानि उषा ठाकुर को मिला, जो दोनों गुटों से दूर है। ऐसे में मेयर पद के लिए भाजपा ऐसे उम्मीदवार का चयन कर सकती है जो किसी गुट से ताल्लुक न रखता हो।
असदुद्दीन ओवैसी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं
इधर, मप्र के नगरीय निकाय चुनाव में सांसद असदुद्दीन ओवैसी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम मप्र में मुस्लिम बाहुल्य जिलों की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
एंट्री से पहले सर्वे कराने का निर्णय
पार्टी ने मध्य प्रदेश में एंट्री से पहले सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इसकी जिम्मेदारी ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के वरिष्ठ पार्षद सैयद मिन्हाजुद्दीन को सौंपी गई है। इसकी पुष्टि करते हुए प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नईम अंसारी ने कहा कि पार्टी अगले स्थानीय निकाय चुनावों में संभावनाएं तलाश रही है।
जल्दी ही पार्टी पदाधिकारी आएंगे
खासकर, मुस्लिम बाहुल्य इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खंडवा, सागर, बुरहानपुर, खरगोन, रतलाम, जावरा, जबलपुर, बालाघाट और मंदसौर जिलों में प्रारंभिक तौर पर सर्वे के लिए जल्दी ही पार्टी मुख्यालय हैदराबाद से पदाधिकारी आएंगे।
...तो नुकसान कांग्रेस और फायदा भाजपा को होगा
यदि रिपोर्ट पार्टी के पक्ष में रही, तो उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जाएगा। हालांकि इस पर अंतिम फैसला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी करेंगे। यदि ओवैसी की पार्टी मप्र में चुनाव मैदान में उतरती है, तो नुकसान कांग्रेस और फायदा भाजपा को होगा।
अब तक कांग्रेस और भाजपा ही एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी रहे हैं
गौरतलब है कि मप्र में अब तक हुए निकाय चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ही एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी रहे हैं, जबकि बीएसपी, सपा के अलावा अन्य कई राजनीतिक दल स्थानीय निकाय चुनाव में अपना भविष्य तलाश चुके हैं। ओवैसी के अलावा आम आदमी पार्टी की निगाहें ही मध्य प्रदेश की तरफ हैं।