एनसीईआरटी द्वारा संचालित क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में आयोजित कॉन्फ्रेंस में दिलचस्प दावे
भोपाल, एनसीईआरटी द्वारा हाल ही में संचालित क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में 'विद्यालय विज्ञान में उभरते रुझान और नवाचार' पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में कई हैरान करने वाले दावे किए गए, इस व्याख्यान में किए गए दावों के बाद वैज्ञानिक नाराज हैं। इस व्याख्यान में एक प्रवक्ता ने कहा कि सिंदूर लगाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और तुलसी के पौधे के पास रहने से शीतलता बनी रहती है। एक अन्य प्रवक्ता ने कहा कि 'नमस्ते' करने से बीमारियां दूर रहती हैं। हालांकि, वहां बैठे श्रोताओं को प्रवक्ताओं की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था। वैज्ञानिकों ने इस कॉन्फ्रेंस में हुए व्याख्यान पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी सम्मेलन में कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होने चाहिए।
दावों पर उठे सवाल
कई वैज्ञानिकों ने कहा कि इस तरह की कागजी बातों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने आरआईई को चेतावनी भी दी। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान कोलकाता के प्रफेसर सौमित्रो बनर्जी ने कहा, हमने आरआईई के प्रिंसिपल, एन. प्रधान को ई-मेल भेजा है। हमने लिखा है कि इस तरह के भ्रामक शोधपत्रों को जमा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह बहुत ही हैरानी वाली बात है कि ऐसे शोधपत्रों को रोकने की बजाय, आयोजकों ने कई विषयों पर चर्चा की, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
दावे संदिग्ध
होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन के डॉ. अंकित सुले ने भी चर्चा के लिए चुने गए कई ऐसे विषयों पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा, पहले दिन कॉन्फ्रेंस में दो समानांतर सत्र रखे गए थे। विषय था- आज के परिप्रेक्ष्य में प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान। जो भी लोग इन सत्रों में मौजूद थे, उन्होंने यह नोटिस किया कि कई वक्ताओं ने जो दावे किए, वे संदिग्ध दावे किए। वे संदेह वाले थे।
आरआईई चीफ की सफाई
जब इस मसले पर आरआईई के चीफ एन प्रधान से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि वह एक वैज्ञानिक नहीं हैं और वह कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किए गए शोधपत्रों पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।