GST में विमान ईंधन के लिए 18% का स्लैब चाहता है उड्डयन मंत्रालय
नई दिल्ली
विमान ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण पहली छमाही में विमान सेवा कंपनियों की वित्तीय स्थिति काफी खराब रही है और शेयर बाजार में सूचीबद्ध तीनों एयरलाइंस को नुकसान उठाना पड़ा है। विमानन क्षेत्र की गति बनाये रखने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय विमान ईंधन को भी जल्द से जल्द वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के लिए प्रयास कर रहा है तथा चाहता है कि इसे 18 प्रतिशत वाले स्लैब में रखा जाए।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विमान ईंधन को जीएसटी में शामिल करने के लिए हम राजस्व विभाग से संपर्क में हैं। इससे विमान सेवा कंपनियों को काफी राहत मिलेगी, बशर्ते कर की दर बहुत ऊंची न हो। यह पूछे जाने पर कि मंत्रालय विमान ईंधन को किस स्लैब में रखने की सिफारिश कर रहा है, अधिकारी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि इसे 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा जाये। लेकिन, यह सब भविष्य की बात है जो बाद में तय होगा। हां, यदि बहुत ज्यादा कर लगाया जाता है तो जीएसटी में इसे शामिल करने का उद्देश्य ही पूरा नहीं हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी पर राज्यों के वैट और केंद्र सरकार का उत्पाद शुल्क मिलाकर वर्तमान में करीब 36 फीसदी कर लग रहा है। नवंबर में इसकी कीमत ऐतिहासिक दूसरे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी हालांकि, 01 दिसंबर से तेल विपणन कंपनियों ने घरेलू एयरलाइंस के लिए विमान ईंधन के दाम 10 से 11 प्रतिशत घटाकर विमान सेवा कंपनियों को बड़ी राहत दी है। अधिकारी ने संकेत दिये कि जीएसटी की दर तय करने वाली जीएसटी परिषद् की अगली बैठक में इस पर विचार हो सकता है। स्वयं वित्त मंत्री अरुण जेटली पिछले सप्ताह कह चुके हैं कि परिषद् की अगली बैठक के एजेंडा में अन्य पेट्रोलियम उत्पादों पेट्रोल तथा डीजल को जीएसटी में शामिल करने का मुद्दा है।