IDA बोर्ड भंग होते ही 200 करोड़ के प्रोजेक्टों पर संकट
इंदौर
नई सरकार ने प्रदेशभर के निगम मंडल, प्राधिकरणों के बोर्ड भंग कर दिए हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण के कई प्रोजेक्ट पर भी संकट गहराने लगा है। जिनकी या तो प्लानिंग हो चुकी है या टेंडर जारी होना थे। अब जो नया राजनीति बोर्ड गठित होगा, वह नए सिरे से प्रोजेक्टों पर मंथन करेगा। ऐसे में प्रोजेक्टों की प्लानिंग पर खर्च की गई राशि भी व्यर्थ हो जाएगी। शहरभर में 200 करोड़ के प्रोजेक्ट अब अटक गए हैं। इनमें सुपर कॉरिडोर पर बनने वाली प्रदेश की सबसे ऊंची बिल्डिंग, फिनटेक सिटी, विजय नगर पर प्रस्तावित बस स्टैंड आदि शामिल हैं।
प्लानिंग तैयार, टेंडर हो गया निरस्त
सुपर कॉरिडोर पर आईडीए ने 20 मंजिला बिल्डिंग बनाने का फैसला किया था। पुराने बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी थी। इसके बाद लाखों रुपए बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल प्लानिंग पर खर्च किए गए। पिछले बोर्ड की अंतिम बैठक में इसके निर्माण के लिए टेंडर खोले गए, लेकिन उसे नामंजूर कर दिया गया। अब नए बोर्ड को यदि यह प्रोजेक्ट अच्छा लगा, तभी आकार ले सकता है। आईडीए प्रदेश की सबसे ऊंची बिल्डिंग इंदौर में बनाना चाहता था।
नहीं निकल सका बस स्टैंड का मुहूर्त
शहर में दो बस स्टैंडों के निर्माण प्रस्तावित है। एमआर-10 रोड पर 25 एकड़ में बस स्टैंड बनाने के लिए टेंडर तक जारी कर दिए गए, जो अब जल्दी ही खुलेंगे, लेकिन टेंडर को अनुमति नया बोर्ड ही दे सकेगा। ऐसे में यह प्रोजेक्ट भी अटक सकता है, क्योंकि बोर्ड गठन की संभावना फिलहाल नहीं है। इसके अलावा विजय नगर में पुराने आरटीओ भवन की जमीन पर भी बस स्टैंड बनाने की प्लानिंग तैयार हो चुकी थी, लेकिन उसके निर्माण का मुहूर्त निकलने से पहले ही बोर्ड भंग हो गया।
ये प्रोजेक्ट भी खतरे में
- आईडीए स्कीम-54 में विकलांग पार्क बनाने की तैयारी कर रहा था, लेकिन अब मामला ठंडे बस्ते में है।
- मेघदूत उपवन में मंगल मेरीलैंड से ली गई जमीन पर एम्युजमेंट पार्क प्रस्तावित है। यह काम तीन सालों में भी शुरू नहीं हो सका।
- बीआरटीएस के कुछ हिस्से में एलिवेटेड रोड की मंजूरी केंद्र सरकार ने दी थी, लेकिन अब इस प्रोजेक्ट में भी देर हो सकती है।
- पश्चिम बायपास के लिए भी केंद्र ने 700 करोड़ की सैद्धांतिक मंजूरी दी है। इस योजना पर भी आईडीए काम कर रहा था, लेकिन अब सरकार बदलने से सभवतः राशि मिलने में देर हो सकती है।
नए बोर्ड में रखेंगे लंबित प्रकरण
आईडीए के लंबित प्रकरणों को मंजूरी के लिए नए बोर्ड में रखा जाएगा। फिलहाल बोर्ड गठित नहीं हो पाया है। आचार संहिता अवधि के काफी प्रकरण लंबित हैं। -कुमार पुरुषोत्तम, आईडीए सीईओ