डेढ़ साल से अटकी आईपीएस कॉडर रिव्यू की फाइल

डेढ़ साल से अटकी आईपीएस कॉडर रिव्यू की फाइल

चर्चा के बाद भी प्रस्ताव भोपाल से दिल्ली की ओर नहीं बढ़ा

भोपाल। आईपीएस कॉडर रिव्यू का राज्य शासन के पास अटके पड़े प्रस्ताव को आगे बढ़वाने के लिए अब राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) अफसर जोर लगाएंगे। यह प्रस्ताव करीब डेढ़ साल से राज्य शासन के गृह विभाग के पास अटका है। इस पर कई दौर की चर्चा हो चुकी है, लेकिन प्रस्ताव भोपाल से दिल्ली की ओर नहीं बढ़ सका है।

योजनाबद्ध तरीके से काम करेगी एसोसिएशन

एसपीएस अफसरों की एसोसिएशन इस प्रस्ताव को गति दिलाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करेगी। पुलिस मुख्यालय ने जुलाई 2018 में आईपीएस कॉडर रिव्यू का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था। प्रस्ताव में आईपीएस अफसरों के पद बढ़ाकर 409 करना है। अभी प्रदेश में 305 अफसरों का कॉडर है। लंबित पड़े प्रस्ताव में 104 आईपीएस अफसरों की संख्या बढ़ाने का जिक्र हैं। हर पांच साल में आईपीएस कॉडर रिव्यू होता है। पिछला रिव्यू वर्ष 2015 में हुआ था। अब वर्ष 2020 में होना था, लेकिन नहीं हो सका।

आईपीएस अवार्ड नहीं हो सका

राज्य पुलिस सेवा के कई ऐसे अफसर हैं जिन्हें नौकरी करते हुए 25 साल हो गए, लेकिन अब तक आईपीएस अवार्ड नहीं हो सका। वर्ष 1995 बैच में एसपीएस अफसरों की संख्या ज्यादा होने के चलते इस बैच के अफसरों की पदोन्नति का क्रम पिछले चार साल से लगातार चल रहा है। इसके बाद भी इस बैच के अभी आठ अफसर आईपीएस बनने से बचे हुए हैं। यदि कॉडर रिव्यू जल्दी नहीं हुआ तो वर्ष 1996 बैच के राज्य पुलिस सेवा के सभी अफसरों को भी आईपीएस अवार्ड होने में दो से तीन साल और लग सकते हैं।

इसलिए करेंगे प्रयास

आईपीएस कॉडर रिव्यू होगा तो इसमें से 33 फीसदी पद राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को मिलेंगे। यदि कॉडर रिव्यू होता है तो राज्य पुलिस सेवा के 32 अफसरों को इसका फायदा मिलेगा। नया प्रस्ताव मंजूर होता है तो राज्य पुलिस सेवा के सबसे सीनियर 32 अफसर को एक साथ आईपीएस अवार्ड हो सकता है। आज की स्थिति में यदि कॉडर रिव्यू भेजे गए प्रस्ताव अनुसार हुआ तो वर्ष 1997 बैच तक के राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को एक साथ आईपीएस अवार्ड हो सकता है।