17 से 24 नवम्बर तक शिवगंगा आश्रम प्रयागराज में रहेंगे पुरी शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी 

17 से 24 नवम्बर तक शिवगंगा आश्रम प्रयागराज में रहेंगे पुरी शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी 

अरविन्द तिवारी 
प्रयागराज,  हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु एवं हिन्दू राष्ट्र प्रणेता ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी पीठ के 145 वें श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज राष्ट्रव्यापी राष्ट्र रक्षा अभियान अंतर्गत मैहर (मध्यप्रदेश) से प्रस्थान कर आज सायं सात बजे काशी तमिल एक्सप्रेस द्वारा प्रयागराज चौकी रेल्वे स्टेशन पहुचेंगे , यहां स्वागत पश्चात वे सीधे श्री शिवगंगा आश्रम , नया झूंसी , नये रेलवे ब्रिज के पास प्रस्थान करेंगे। पूज्यपाद पुरी शंकराचार्यजी दिनांक 17 नवम्बर से 24 नवम्बर तक शिवगंगा आश्रम में निवासरत रहेंगे। जहां आश्रम परिसर में प्रतिदिन प्रात:कालीन सत्र में साढ़े ग्यारह बजे आयोजित दर्शन , दीक्षा एवं गोष्ठी में उपस्थित भक्तवृन्दों को अपने धार्मिक , आध्यात्मिक तथा राष्ट्रीय विषय से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त होगा। वहीं सायंकालीन सत्र में सायं साढ़े पांच बजे से पुन: दर्शन के साथ आध्यात्मिक संदेश श्रवण करने का सौभाग्य सुलभ रहेगा। गौरतलब है कि इस वर्ष आयोजित होने वाले प्रयागराज कुंभ मेले में महाराजश्री मकरसंक्रांति पश्चात लगभग पंद्रह दिनों तक मेले परिक्षेत्र में स्थित शिविर में निवासरत रहेंगे तथा सभी सनातनी भक्तवृन्दों को प्रात: एवं सायं दर्शन के साथ ही आध्यात्मिक प्रवचन श्रवण का सुअवसर प्राप्त होगा। महाराजश्री संदेश देते हैं कि शासनतन्त्र को धर्म , अर्थ , राजनीति और विकास की शास्त्रसम्मत परिभाषा ज्ञात नही हैं, इसलिये प्रत्येक क्षेत्र में दुष्परिणाम ही परिलक्षित हो रहा है। शास्त्रसम्मत सिद्धान्तों का शास्त्रसम्मत विधि से क्रियान्वयन करने पर ही सर्वहितप्रद परिणाम प्राप्त होगा , इसके लिये मान्य आचार्यों का मार्गदर्शन प्राप्त करना आवश्यक है। दृष्टान्तों के माध्यम से विषयवस्तु को आसान तरीके से अभिव्यक्त करने के क्रम में महाराजश्री का कथन है कि जिस कार्य की सिद्धि के लिये जो काल प्रशस्त है , उस काल में उस कार्य का सम्पादन अवश्य करे। काल पारखी कालज्ञ प्रमाद और आलस्य के वशीभूत होकर समय का सदुपयोग अवश्य करें। समय निकल जाने पर पछताने से कुछ हाथ नहीं लगता , कार्य सिद्धि के लिये अपेक्षित योग पुनः कब प्राप्त होगा यह कहा नहीं जा सकता। यह ध्यान रखना भी अत्यावश्यक है कि जिस समय जो कार्य नहीं करना चाहिये , उस समय उसे करने पर विस्फोट सुनिश्चित है। उदाहरणार्थ प्रदोषकाल में पतिव्रता दिति द्वारा पतिदेव कश्यप को संस्पर्श के लिये बाध्य करने के फलस्वरूप ही विश्वविघातक हिरण्यकशिपु तथा हिरण्याक्ष का प्रादुर्भाव हुआ। यहां आयोजित कार्यक्रमों की समाप्ति पश्चात पुरी शंकराचार्यजी 24 नवम्बर को रात्रि आठ बजे निवासस्थल शिवगंगा आश्रम से प्रयागराज जंक्शन प्रस्थान करेंगे तथा प्रयागराज एक्सप्रेस से रात्रि दस बजे राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के अगले चरण में दिल्ली प्रस्थान करेंगे। इसकी जानकारी श्री सुदर्शन संस्थानम , पुरी शंकराचार्य आश्रम / मीडिया प्रभारी अरविन्द तिवारी ने दी।

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