12वीं पास हर छात्र को माशिमं थमा रहा माइग्रेशन सर्टिफिकेट, करोड़ों की कमाई

रायपुर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) में माइग्रेशन सर्टिफिकेट (प्रवजन प्रमाण पत्र) छापने और इससे आमदनी करने का खेल चल रहा है। आलम यह है कि बारहवीं पास करीब ढाई लाख छात्रों के लिए माशिमं हर साल माइग्रेशन सर्टिफिकेट छापकर स्कूलों में भेज रहा है। स्कूल में अंकसूची देते समय छात्रों से 110 रुपये वसूलकर सर्टिफिकेट थमाया जा रहा है। इससे माशिमं को सवा दो करोड़ से अधिक की आमदनी भी हो रही है। यह तब स्थिति है जब राज्य के विवि के जिम्मेदार कह रहे हैं कि राज्य के छात्रों को माइग्रेशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। माइग्रेशन की जरूरत उन्हें पड़ती है जो राज्य के बाहर किसी विवि या संस्थान में प्रवेश करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक 80 फीसद छात्र राज्य में ही रहकर पढ़ाई करते हैं या फिर आगे की पढ़ाई छोड़ देते हैं, लेकिन यहां उन्हें अंकसूची के साथ ही माइग्रेशन सर्टिफिकेट थमाया जा रहा है। ज्यादातर स्कूलों ने तो अंकसूची के साथ माइग्रेशन प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता कर दी है। इससे छात्रों और पालकों की जेब कट रही है। रविवि ने कहा, पात्रता की भी जरूरत नहीं छात्रहित में पंडित रविशंकर शुक्ल विवि ने तो फैसला लिया है कि प्रदेश के बच्चों को तो पात्रता प्रमाण पत्र बनवाने की भी जरूरत नहीं है। ऐसे में माशिमं हर स्कूल में हर छात्रों के नाम पर माइग्रेशन सर्टिफिकेट की छपाई करा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जिन छात्रों को माइग्रेशन की जरूरत है वे ही इसे लें। हर छात्र के नाम पर सर्टिफिकेट छपवाकर देना फिजूलखर्ची है। बताया जाता है कि माशिमं ने करोड़ों रुपये खर्च करके माइग्रेशन सर्टिफिकेट छपवा लिया है और अब इसे स्कूलों में खपाया जा रहा है। स्कूलों ने कहा, छपकर आया इसलिए बांट रहे सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल डब्ल्यूआरएस कॉलोनी के प्राचार्य प्रवीर कुमार चटर्जी से नईदुनिया ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि माइग्रेशन सर्टिफिकेट हर छात्र के नाम से आता है। अंकसूची देने के दौरान इसे भी दिया जा रहा है। इसी तरह हायर सेकंडरी स्कूल रायपुर की प्राचार्य ऋतु सुरंगे ने बताया कि पिछले सालों से ही हर छात्र के नाम पर अंकसूची के साथ माइग्रेशन छपकर आ रहा है। छात्रों को जरूरत होती है इसलिए दिया जा रहा है। कमोबेश शहर के लगभग सभी हायर सेकंडरी स्कूलों में छात्रों को जबरन जरूरत बताकर माइग्रेशन सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। वहीं राजधानी के महंत कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि माइग्रेशन की जरूरत नहीं है, पर छात्र स्कूल से लेकर आ रहे हैं। क्या नियम बना है देखना पड़ेगा माइग्रेशन सर्टिफिकेट को लेकर क्या नियम बना है, इसे अभी देखना पड़ेगा। जो भी आगे की कार्रवाई होगी करेंगे। - गौरव द्विवेदी , अध्यक्ष, माशिमं हमने आवाज उठाई थी जिन बच्चों को माइग्रेशन की जरूरत है उन्हें ही दिया जाना चाहिए। जब मैं सदस्य था इस पर आवाज उठाई थी। इसमें यह निर्णय लिया गया था कि छात्रों को माइग्रेशन अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। - - सुधीर गौतम, पूर्व सदस्य, माशिमं राज्य के लिए अनिवार्य नहीं है रविवि में माइग्रेशन सर्टिफिकेट राज्य के छात्रों के लिए अनिवार्य नहीं है। यहां पात्रता प्रमाण पत्र भी यहां के छात्रों से नहीं ले रहे हैं। माइग्रेशन सर्टिफिकेट दूसरे राज्यों में जाने पर प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को देना पड़ता है। सबके लिए जरूरी नहीं होता है। सिर्फ बाहर जाने वालों के लिए माइग्रेशन लगता है। - डॉ. केशरीलाल वर्मा, कुलपति, पं. रविवि । परिक्षेत्र बदलने पर माइग्रेशन अनिवार्य राज्य में बारहवीं बोर्ड पास करके छात्र राज्य के विवि या बोर्ड में ही यदि दाखिला ले रहा है तो उसे माइग्रेशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होनी चाहिए। परिक्षेत्र बदलने पर माइग्रेशन लिया जाता है। बोर्ड से बारहवीं पास छात्रों के लिए राज्य के विवि में माइग्रेशन की जरूरत नहीं है। - - डॉ. रोहिणी प्रसाद, कुलपति, सरगुजा विवि