12 साल से लापता बेटे को पुलिस ने परिवार से मिलाया 

सिक्किम में पदस्थ था केरल का संतोष

Syed Sikandar Ali
मंडला - जिले के दूरस्थ अंचल छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे मोतीनाला थाने के पुलिस स्टाफ ने एक गुमशुदा व्यक्ति को 12 साल बाद उसके परिवार से मिला। केरल निवासी इस व्यक्ति को लम्बे समय तलाशने के बाद जब यह नहीं मिला तो उसे मृत मान लिया गया था। 12 साल बाद जब पुलिस के फ़ोन से उसके जिन्दा होने की सूचना मिली तो पहले उन्हें अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। पुलिस ने जब उसकी फोटो भेजी तब उसे देख सभी आश्चर्य में पड़ गए और उन्हें लगा कि उनकी दुआए देर से ही सही लेकिन पूरी तो हुई।
Police found the missing son for 12 yearsआइये अब आपको बताते है कि दरअसल पूरा मांजरा क्या है। पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार ने बतया कि पिछले दिनों मोतीनाला थाने के प्रभारी पी एस तिलगाम काम को सूचना मिली कि मोती नाला से चिल्फी घाटी के बीच मुख्य सड़क पर एक अज्ञात व्यक्ति संदिग्ध हालत में स्थानीय लोगों व आने जाने वाले राहगीरों से हथियारों के संबंध में बात कर रहा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के नाते इंस्पेक्टर तिलगाम ने सूचना को गंभीरता से लेते हुए खुद स्टाफ के साथ मौके पर जा पहुंचे। उस वक्त अज्ञात संदिग्ध व्यक्ति भाई-बहन नाला की मुख्य सड़क पर लोगों से बातचीत करता हुआ मिला। उसे स्टाफ की मदद से घेराबंदी कर पकड़ लिया गया। संदिग्ध व्यक्ति मानसिक विक्षिप्त हालत में था जिससे पूछताछ कर उसने टूटी-फूटी हिंदी भाषा में अपना नाम संतोष निवासी केरला बताया। वह दूसरी भाषा में बात करने लगा। भाषा समझ में ना आने के कारण संदिग्ध संतोष को पुलिस अपने साथ थाने ले आई।
Police found the missing son for 12 yearsथाने पहुंचकर थाना प्रभारी ने पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह को पूरे मामले से अवगत कराया। पुलिस अधीक्षक से बात के बाद मिले दिशा निर्देशों का पालन करते हुए थाना परिसर में विक्षिप्त व्यक्ति का दाढ़ी बाल कटवा कर उसे नहलाया गया और नए कपड़े पहनाए गए। उसके बाद उसे भरपेट खाना खिलाया गया। उससे बात करने की कोशिश के दौरान उसने टूटी-फूटी हिंदी में बात करना शुरू किया। पुलिस को बातचीत के दौरान पता चला कि वो इंडियन आर्मी सिग्नल कोर में जीडी के पद पर सिक्किम में पदस्थ था। वर्ष 2007 में बाएं आंख खराब हो जाने से वो मानसिक विक्षिप्त हो हो गया और इसी के चलते फौज की नौकरी छोड़कर रास्ते - रास्ते भटक रहा था। पूछताछ के दौरान संतोष केरल की भाषा में बोल रहा था जो समझ में नहीं आ रही थी। तब पुलिस ने केरल राज्य के रहने वालों के बारे में पता लगाया तो स्थानीय मोतीनाला चर्च की सिस्टर मर्सी के बारे में पता चला। सिस्टर मर्सी को थाने बुलाकर संतोष से बात कराई गई। सिस्टर ने संतोष से केरल की भाषा में बात शुरू की और उन्होंने बताया कि संतोष मलयालम भाषा बोल रहा है।
Police found the missing son for 12 yearsसंतोष ने सिस्टर मर्सी को अपने घर का पूरा पता कुराविन परपिल हाउस अनारी, पोस्ट ऑफिस चेरोचिना, थाना कार्तिकेयपल्ली, जिला आलपी (केरला) बताया। उसने अपनी पूर्व की आर्मी की नौकरी के संबंध में भी जानकारी दी। तब थाना प्रभारी ने कार्तिकेयपल्ली का टेलीफोन नंबर गूगल में सर्च कर संबंधित थाने का फोन हासिल कर सिस्टर मर्सी से बात कराई। केरल पुलिस को सूचना देने के बाद थाना प्रभारी का मोबाइल नंबर बताया गया जिस पर संतोष के परिजनों से बात कराने के लिए कहा गया। संतोष के छोटे भाई सतीश कुमार ने थाना प्रभारी के मोबाइल पर बात कर बताया कि उसका बड़ा भाई 12 साल से घर से लापता है जिसकी कई वर्षों तक तलाश की गई लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। थाना प्रभारी द्वारा सतीश कुमार के फोटो व्हाट्सएप्प पर भेजे गए जिस पर सतीश में अपने भाई को पहचान लिया और उसे लेने आने की बात कही। जिस पर थाना प्रभारी ने थाने का पूरा पता भेजा। सतीश कुमार अपने मौसेरे भाई सबेरी के साथ थाने पहुंचा और अपने भाई को पहचान लिया।
Police found the missing son for 12 yearsसतीश कुमार ने हिंदी में पुलिस को बताया कि संतोष 2007 में फौज की नौकरी छोड़कर अचानक लापता हो गया था। परिवार वालों ने उसको खूब खोजा लेकिन उसका पता नहीं चला। इसका पता लगाने के लिए परिजनों ने पुलिस व डिफेंस मिनिस्ट्री तक से पत्राचार किया लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। आखिरकार थक - हारकर परिवार वालों ने समझा कि उसकी मृत्यु हो चुकी है। जब 4 जुलाई को मोती नाला थाने से उसके जिंदा होने का फोन पहुंचा तो घर वालों के लिए यह कोई चमत्कार से कम नहीं था। खबर सुनते ही पूरे घर की खुशी का ठिकाना ना रहा। सतीश जब अपने बड़े भाई से 12 साल बाद मिला तो वह भाव विभोर हो गया। उसने पुलिस का बहुत - बहुत शुक्रिया किया। पुलिस के प्रति आभार जताते हुए तीनो भाई खुशी-खुशी केरल के लिए रवाना हो गए। अपने स्टाफ के इस सराहनीय कार्य से पुलिस अधीक्षक भी खुश है कि उनके अमले ने एक परिवार की कोई हुए खुशियाँ लौटने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।