एक्ट्रेस प्राची देसाई 4 साल बाद फिल्म ‘साइलेंस: कैन यू हियर इट’ से कमबैक कर रही हैं। इसमें वे पुलिस की भूमिका निभाते हुए नजर आएंगी। उनके अपोजिट मनोज बाजपेयी हैं। इसी प्रोजेक्ट को लेकर उनसे हुई खास बातचीत में उन्होंने बताया कि परदे पर वे वही सीन करेंगी जिसे करने में वे खुद कंफर्ट फील करेंगी। आई थिंक, बड़े परदे का जो मैजिक है, वो अपने आप में खास है, लेकिन टाइम जैसे चेंज होता है, उसके साथ हमें भी चेंज होने की जरूरत है।
पिछले कुछ वर्षों में ओटीटी का दायरा बढ़ा है। हम जहां तक फिल्मों को लेकर नहीं पहुंच पाते, वहां ओटीटी प्लेटफॉर्म के जरिए पहुंचते हैं। उस हिसाब से हमें अच्छा प्लेटफॉर्म मिल चुका है। ‘साइलेंस...’ एक थ्रिलर फिल्म है। इसे कहीं भी देख सकते हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत इंटरेस्टिंग मीडियम है। कई सारी कहानियां ऐसी होती हैं, जिसे हम दो-ढाई घंटे की फिल्म में नहीं बांध सकते हैं। उसका मजा एपिसोड्स में ही होता है।
कई सारे टॉपिक और स्टोरी पर कोई फिल्में नहीं बनाता है, उन्हें सीरीज के रूप में मौका मिलता है। इसमें वैरायटी देखने को मिलती है। मैं बस वही सीन करूंगी, जिसे करने और देखने में मैं खुद कंफर्ट फील करूं। हो सकता है कि मैं पुराने ख्यालात वाली बात कर रही हूं। लेकिन जो ऐसी फिल्में और वेब सीरीज बना रहे हैं, उनको ये खुद भी पता है कि इसकी जरूरत नहीं है।
मौके का इंतजार था
बस वे इसलिए डाल रहे हैं, क्योंकि उन्हें उतना सब्सक्रिप्शन और व्यूअरशिप चाहिए। इसलिए वे इसे शामिल कर रहे हैं, यह मेरी पर्सनल राय है। ऐसा मेरा बिल्कुल प्लान नहीं था कि बहुत साल काम किया अब छोटा-सा ब्रेक लेना चाहिए। असल में मुझे कुछ अलग किस्म के रोल करने थे, उस तरह के मौके का इंतजार था। उस वक्त जिस तरह के रोल आॅफर हो रहे थे, मुझे लगा कि वह मेरे लिए ठीक नहीं हैं, इसलिए उन रोल्स को जाने दिया।
कभी-कभी बहुत कुछ एक साथ हो जाता है और कभी-कभी बहुत लंबा टाइम लगता है
यह फिल्म लाइन ऐसी है कि कभी-कभी बहुत कुछ एक साथ हो जाता है और कभी-कभी बहुत लंबा टाइम लगता है। यहां पर ऐसा कुछ हुआ कि मैंने इंतजार किया। इस बीच कुछ वर्कआउट हुआ और कुछ नहीं हुआ। सब मिलाकर काफी वक्त गुजर गया। लेकिन इस बीच मैंने काफी स्क्रिप्ट पढ़ीं। मुझे लगता है कि यह बहुत इंट्रेस्टिंग मीडियम है।
कुछ प्रतिशत सेंसरशिप होना ही चाहिए
कई सारी कहानियां ऐसी होती हैं, जिसे हम दो-ढाई घंटे की फिल्म में नहीं बांध सकते हैं। उसका मजा एपिसोड्स में ही होता है। मैं कहूंगी कि जिसे जो करना है, वह करे। पर्सनली कहूं तो कुछ प्रतिशत सेंसरशिप होना ही चाहिए, क्योंकि आप जब कोई शो या फिल्म आॅन करते हैं और उसे अन्य लोगों के साथ देखते हैं, तब ऐसे कुछ सीन आ जाएं जो असहज दिखे तो झिझकना पड़ता है। मुझे समझ नहीं आता कि ऐसे सीन क्यों रखे जाते हैं।