RBI गवर्नर को कारण बताओ नोटिस देने पर CIC के भीतर तनातनी

RBI गवर्नर को कारण बताओ नोटिस देने पर CIC के भीतर तनातनी

 
नई दिल्ली 

केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) की ओर से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल को कारण बताओ नोटिस देने पर आयोग के भीतर मतभेद उभर आए हैं। यह नोटिस CIC के पिछले आदेशों से बिल्कुल उलट माना जा रहा है। इनमें 2017 में एक फुल बेंच का ऑर्डर भी शामिल है। आपको बता दें विलफुल डिफॉल्टर्स की लिस्ट का खुलासा न करने के कारण CIC की ओर से ताजा नोटिस दिया गया है। 
 

इससे पहले तक CIC ने कम से कम 10 आदेशों में कहा था कि विलफुल बैंक डिफॉल्टर्स का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इस बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि इन्फ़र्मेशन कमिश्नर एम श्रीधर आचार्युलु की ओर से 2 नवंबर को RBI के गवर्नर को कारण बताओ नोटिस जारी करने पर कमिशन के अंदर सहमति नहीं है। 

 
कुछ इन्फ़र्मेशन कमिश्नर्स ने इससे जुड़े आदेश में कमियां बताई हैं और इसकी कानूनी स्थिति और आचार्युलु के आचरण पर प्रश्न उठाया है। एक सूत्र ने कहा कि चीफ इन्फ़र्मेशन कमिश्नर आर के माथुर ने इस मुद्दे पर कमिशन की मीटिंग बुलाई थी, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया। हालांकि, इन्फ़र्मेशन कमिश्नर्स ने अपनी आपत्तियां माथुर के सामने रखी हैं। 

इन्फ़र्मेशन कमिश्नर्स सुधीर भार्गव और मंजुला पाराशर ने पिछले वर्ष 24 मई को एक आदेश में कहा था कि इस लिस्ट का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। भार्गव ने बाद में खुलासा न करने से जुड़े अन्य आदेश भी दिए थे। 

 
आचार्युलु की ओर से जारी किए हाल के आदेश के समय और इस पर कार्रवाई को लेकर जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया गया है। एक इन्फ़र्मेशन कमिश्नर ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि कारण बताओ नोटिस आचार्युलु के 20 नवंबर को रिटायर होने से केवल 18 दिन पहले दिया गया है। आचार्युलु ने अधिकतम पेनाल्टी लगाने के लिए दिए गए कारण बताओ नोटिस का जवाब पटेल से 16 नवंबर तक मांगा है। 

इन्फ़र्मेशन कमिश्नर ने ईटी को बताया कि उन्होंने चीफ इन्फ़र्मेशन कमिश्नर के सामने आचार्युलु के आचरण पर प्रश्न किया था। इन्फ़र्मेशन कमिश्नर ने कहा, 'वह कारण बताओ नोटिस पर चर्चा करने के लिए एक टीवी चर्चा में भी शामिल हुए थे। यह हैरान करने वाला था। मामले की अभी भी सुनवाई चल रही है और अंतिम निर्णय 16 नवंबर को आएगा। अगर आप टेलिविजन पर मामले के पक्ष में या खिलाफ दलील देते हैं तो आप पक्षपात करते दिखते हैं।' 

इन्फ़र्मेशन कमिश्नर्स ने चीफ इन्फ़र्मेशन कमिश्नर को यह भी बताया है कि इस मामले में कमिशन की सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण भी मौजूद थे। ईटी ने कारण बताओ नोटिस की कॉपी देखी है। इसमें यह नहीं बताया गया है कि भूषण सुनवाई के दौरान मौजूद थे या वह आवेदनकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।