RBI ने रेट कट का पूरा फायदा देने का किया इंतजाम

RBI ने रेट कट का पूरा फायदा देने का किया इंतजाम

 
मुंबई 

होम, कार लोन लेने वालों और छोटे व मझोले उद्यमों को अगले साल अप्रैल से यह राहत मिलेगी कि आरबीआई जब भी ब्याज दरों में कमी करेगा, उसके तुरंत बाद सभी बैंकों को अपने कर्ज की दरों को एक कॉमन बेंचमार्क के आधार पर तय करना होगा और उन्हें इसका स्प्रेड लोन की पूरी अवधि में जस का तस रखना होगा। स्प्रेड में बदलाव तभी किया जा सकेगा, जब कस्टमर के क्रेडिट रिस्क प्रोफाइल में कोई बदलाव हो। 
 

आरबीआई ने फ्लोटिंग रेट वाले सभी नए पर्सनल, रिटेल और एमएसएमई लोन को पहली अप्रैल 2019 से चार बाहरी बेंचमार्कों में से किसी एक से लिंक करने का ऐलान किया। इन लोन को या तो आरबीआई के पॉलिसी रेपो रेट या फाइनैंशल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से मुहैया कराए जाने वाले भारत सरकार के 91 दिनों के ट्रेजरी बिल यील्ड या एफआईआईएल की ओर से पेश किए जाने वाले भारत सरकार के 182 दिनों के ट्रेजरी बिल यील्ड या एफबीआईएल की ओर से पेश किसी अन्य बेंचमार्क मार्केट इंटरेस्ट रेट से लिंक करना होगा। इस संबंध में फाइनल गाइडलाइंस दिसंबर अंत तक जारी की जाएंगी। 
 

'दूर होगी ग्राहकों की शिकायतें' 
बैंकों ने कर्ज पर ब्याज दरों को अप्रैल 2016 में मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट्स से लिंक किया था। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने कहा, 'इससे बॉरोअर्स के लिए मार्केट इंटरेस्ट रेट की पिक्चर ज्यादा साफ हो जाएगी।' बॉरोअर्स की यह शिकायत रही है कि इंटरेस्ट रेट तय करने का सिस्टम पारदर्शी नहीं है और आरबीआई के दरें कम करने का पूरा फायदा उन्हें नहीं मिल पाता है। 

बाहरी बेंचमार्कों का इस्तेमाल 
जनक राज की अध्यक्षता में की गई एक इंटरनल स्टडी में यह सिफारिश की गई थी कि इंटरनल बेंचमार्क्स के मौजूदा सिस्टम के बजाय बैंकों को अपने फ्लोटिंग रेट वाले लोन के लिए बाहरी बेंचमार्कों का उपयोग करना चाहिए। इंटरनल बेंचमार्कों में प्राइम लेंडिंग रेट, बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट, बेस रेट और मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट शामिल हैं। 

इकरा के ग्रुप हेड (फाइनैंशल सेक्टर रेटिंग्स) कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा, 'नए रिटेल और एमएसएमई लोन पर बैंकों के लेंडिंग रेट्स को बाहरी बेंचमार्कों से जोड़ने के प्रस्ताव से लोन प्राइसिंग में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि मौजूदा बेंचमार्क, खासतौर से बेस रेट के जरिए बैंकों की फंड जुटाने की लागत में कमी का पूरा फायदा बॉरोअर्स को नहीं मिल पाया है।' 

श्रीनिवासन ने कहा कि बैंक अगर बाहरी बेंचमार्कों से जुड़े फ्लोटिंग रेट डिपॉजिट्स नहीं जुटा सके तो नए सिस्टम में उनकी प्रॉफिटेबिलिटी में वोलैटिलिटी बढ़ेगी।