रूस ने किया परमाणु हथियारों के जखीरे का प्रदर्शन, दुनिया को दिखाई ताकत

रूस ने किया परमाणु हथियारों के जखीरे का प्रदर्शन, दुनिया को दिखाई ताकत
 

पनडुब्बियों, जमीन के नीचे बने अड्डों और एयरक्राफ्ट से मिसाइलों की बारिश कर डाली

मास्को, दुनिया में सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका में सत्तापरिवर्तन होने वाला है। चीन अपना प्रभुत्व कायम करने में लगा है। रूस ने भी शक्तिप्रदर्शन कर डाला है। खास बात यह है कि रूस ने न सिर्फ सैन्य अभ्यास किया है, बल्कि परमाणु हमला करने की अपनी पूरी ताकत दुनिया को दिखाई है। पनडुब्बियों, जमीन के नीचे बने अड्डों और एयरक्राफ्ट से मिसाइलों की बारिश कर डाली।

पुतिन ने सैन्य शक्तिप्रदर्शन की कमान संभाली

देश के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि बैरंट्स सी में परमाणु पनडुब्बी करेलिया से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट लॉन्च भी किया गया। रूस ने हाल के सालों में पश्चिम के साथ बढ़ते टकराव के बीच अपने सैन्य अभ्यास तेज किए हैं। देश के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जिस सैन्य शक्तिप्रदर्शन की कमान संभाली, उसके वीडियो अब शेयर किए जा रहे हैं। रूस ने परमाणु क्षमता वाली मिसाइलें दागी हैं।
लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें भी लॉन्च की
इस दौरान कई लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें लॉन्च की गईं। यूक्रेनका और एंजेल्स एयरफील्ड से बमवर्षक विमानों Tu-160 और Tu-95 से ये मिसाइलें दागी गईं। बताया गया है कि इन्होंने सफलतापूर्वक पेमबॉय ट्रेनिंग ग्राउंड में अपने निशानों को मार गिराया। TASS के मुताबिक ये लॉन्च पुतिन की कमांड में किए गए।
अमेरिका-रूस आर्म्स कंट्रोल ट्रीटी के खत्म होने में कुछ ही महीने बाकी
रूस ने यह अभ्यास ऐसे वक्त में किया, जब अमेरिका-रूस आर्म्स कंट्रोल ट्रीटी के खत्म होने में कुछ ही महीने बाकी हैं। मॉस्को और वॉशिंगटन ने इस समझौते के विस्तार पर चर्चा की है, लेकिन अभी मतभेद बरकरार हैं। New START समझौता 2010 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदव के बीच किया गया था।
दोनों देशों की सेनाओं के अनियंत्रित होने का खतरा
New START समझौते के तहत दोनों देशों को सिर्फ 1,550 परमाणु हथियार, 700 मिसाइलें और बमवर्षक विमान तैनात करने की इजाजत है। उल्लेखनीय है कि 1987 इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज ट्रीटी से दोनों देश बाहर हो गए। सिर्फ New START ही ऐसा समझौता है जो दोनों देशों के बीच कायम है। ऐसे में यह भी खत्म हो गया तो दोनों देशों की सेनाओं के अनियंत्रित होने का खतरा होगा। बल्कि वैश्विक स्थिरता भी खतरे में आ जाएगी।