आईपीएल फिक्सिंग मामले की सबूतों के अभाव में नहीं कर सका जांच: पूर्व आईपीएस अधिकारी
नई दिल्ली
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2013 में स्पॉट फिक्सिंग मामाले की जांच करने वाली न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति के सदस्य पूर्व आईपीएस अधिकारी बीबी मिश्रा ने कहा कि वह खिलाड़ियों और सट्टेबाजों के बीच के कथित सांठगाठ को ‘सबूतों के अभाव’ में जांच पूरी नहीं कर सके। मुद्गल पैनल के सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मिश्रा शीर्ष भारतीय खिलाड़ी के एक सटोरिये के साथ संपर्क होने की जांच कर रहे थे। मिश्रा ने शुक्रवार को भुवनेश्वर से कहा, ‘हां, मुझे ऐसे मामले के बारे में जानकारी मिली थी जिसमें शीर्ष भारतीय खिलाड़ी सट्टेबाज से संपर्क में था। मेरे पास हालांकि ज्यादा सबूत नहीं थे।’उन्होंने कहा, ‘मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि इस मामले की जांच में समय की बाध्यता नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट का रवैया भी काफी मदद करने वाला था। अगर हम और अधिक समय मांगते तो और मिलता लेकिन जिस सट्टेबाज पर सवाल उठ रहा था वह साक्ष्य का हिस्सा नहीं बनना चाहता था। मेरे पास जांच रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।’
मिश्रा ने दावा किया कि जांच के समय वह सट्टेबाज के संपर्क में थे और सट्टेबाज ने सबूत मुहैया कराने का वादा भी किया था। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने उससे सबूत मांगा तो वह पीछे हट गया। उसने कहा कि इस मामले में कई खतरनाक लोग जुड़े हुए हैं जिनसे जान को खतरा है। उसने सबूत मुहैया कराने से मना कर दिया जिसके बाद मुझे जांच को बंद करना पड़ा।’ मिश्रा से पूछा गया कि क्या उन्होंने आरोपी खिलाड़ी से बात की या सट्टेबाज से खुद जाकर मिले तो इस सवाल को टाल गए। मिश्रा ने कहा कि इस मामले में उन 9 खिलाड़ियों के होने का अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए जो मुद्गल समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपा है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जानकारी बीसीसीआई भ्रष्टाचार रोधी इकाई के प्रमुख अजीत सिंह से शेयर करेंगे, जो उनके संपर्क में है। मिश्रा ने कहा, ‘अजीत सिंह भारतीय पुलिस सेवा में मेरे वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। जब यह रिपोर्ट सामने आई तो उन्होंने मुझसे संपर्क किया था। मैंने उन्हें कहा कि मैं दिल्ली से भुवनेश्वर ट्रांसफर हो रहा हूं, मुझे थोड़ा समय चाहिए। यहां आने के बाद मैंने उन्हें फोन किया तो वह दुबई में थे।’