आॅक्सीजन आपूर्ति से स्टील उत्पादन पर असर लेकिन लोगों का जीवन पहले : नवीन जिन्दल

रायपुर
जिन्दल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के चेयरमैन और कुरुक्षेत्र से पूर्व सांसद नवीन जिन्दल ने कहा कि लिक्विड मेडिकल आॅक्सीजन (एलएमओ) की सप्लाई से स्टील उत्पादन पर 10-15 प्रतिशत तक असर पड़ा है लेकिन लोगों का जीवन बचाने के लिए वह यह नुकसान सहने के लिए तैयार हैं क्योंकि उनकी निगाह में देश प्रथम है और देशवासियों का जीवन सर्वोच्च प्राथमिकता है। जेएसपीएल के रायगढ़ और अंगुल प्लांट से देश के विभिन्न राज्यों में आॅक्सीजन आपूर्ति पर स्वयं निगाह रख रहे नवीन जिन्दल ने कहा कि स्टील निर्माण में गैस के रूप में आॅक्सीजन का प्रयोग होता है लेकिन गैस उत्पादन के दौरान 3-4 प्रतिशत लिक्विड आॅक्सीजन भी तैयार होता है जो स्वास्थ्य क्षेत्र में काम आता है। इसे ही लिक्विड मेडिकल आॅक्सीजन कहते हैं और इसकी ही ढुलाई संभव है। एक टन का मतलब 700 घनमीटर लिक्विड आॅक्सीजन जिससे 100 बड़े सिलेंडर भरे जा सकते हैं।
श्री जिन्दल ने कहा कि देश में मांग से अधिक आॅक्सीजन का उत्पादन हो रहा है लेकिन समस्या उसकी ढुलाई को लेकर है क्योंकि इसके लिए विशेष क्रायोजनिक टैंकर की आवश्यकता पड़ती है, जो अपने देश में पर्याप्त संख्या में नहीं है। हालांकि आॅर्गन गैस और नाइट्रोजन के टैंकरों का इस्तेमाल अब आॅक्सीजन की ढुलाई में किया जाने लगा है। उन्होंन कहा कि जेएसपीएल के अंगुल प्लांट से लगभग 100 टन और रायगढ़ से 20 टन आॅक्सीजन की आपूर्ति मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के साथ-साथ दिल्ली और हरियाणा को की जा रही है। दो दिन पहले रायगढ़ प्लांट से रेलवे की आॅक्सीजन एक्सप्रेस ने 70 टन आॅक्सीजन की आपूर्ति दिल्ली के अस्पतालों में की है। प्रतिदिन लगभग 120 टन आॅक्सीजन की सप्लाई हो रही है जिससे स्टील उत्पादन पर लगभग 10 से 15 फीसदी असर पड़ा है लेकिन हमारे लिए देश और देश की जनता पहले है। उनकी जान बचाने के लिए जेएसपीएल यह नुकसान सहने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि जेएसपीएल 20 टन के टैंकर से लेकर 5 और 10 टन के टैंकरों के साथ-साथ छोटे-छोटे सिलेंडरों में भी लिक्विड आॅक्सीजन भर रहा है, जिसमें काफी समय लग जा रहा है। फिर भी हम किसी को निराश नहीं कर रहे। जो आ रहा है, उसे आॅक्सीजन उपलब्ध करा रहे हैं। जिन्दल ने कहा कि कोविड19 के कारण ऐसी भयावह स्थिति पैदा होगी, इसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। केंद्र, राज्य सरकारें, उद्योग और अन्य संस्थाएं पूरी ताकत लगा रही हैं और उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति में सुधार आएगा।