इंदौर के कॉलेज में प्रोफेसर रहे अर्पित बने मुनिश्री निर्लेप सागर
गुना
एम-टेक की डिग्री लेने के बाद भोपाल और इंदौर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रोफेसर रहते हुए नगर के अर्पित जैन के जीवन में ऐसा बदलाव आया कि उन्होंने सांसारिक मोहमाया और लाखों का पैकेज छोड़कर मोक्षमार्ग पर चलने का निर्णय ले लिया।
पिछले दिनों ललितपुर में आचार्य विद्यासागर महाराज ने ब्रह्मचारी अर्पित भैया को जैनेश्वरी दीक्षा दिलाई। इसके साथ ही वे निर्लेप सागर महाराज के रुप में मोक्षमार्ग की राह पर चलने लगे। अर्पित अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र हैं, जबकि बहन की शादी हो चुकी है।
राघौगढ़ निवासी अनिल जैन व मीना जैन के पुत्र अर्पित जैन का बचपन राघौगढ़ में बीता। इस दौरान उन्होंने जेपी इंजीनियरिंग कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस से बी-टेक और एम-टेक तक उच्च शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद भोपाल और इंदौर में इंजीनियरिंग कॉलेज में बतौर प्रोफेसर रहते हुए लाखों रुपए पैकेज की जॉब की। मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के परिजनों के अनुसार पूर्व में उनका धर्म के प्रति कोई खास लगाव न था। लेकिन वर्ष 2016 में धर्मसभा से जीवन में बदलाव आ गया।
भोपाल में चातुर्मास के दौरान आया बदलाव
2016 में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का भोपाल में चातुर्मास चल रहा था, तभी उनके एक मित्र उन्हें आचार्यश्री के दर्शन कराने ले गए। आचार्यश्री के दर्शन करते ही अर्पित के हृदय में आध्यात्म का बीज अंकुरित हो गया। इसी दौरान उनका ट्रांसफर इंदौर हो गया। यहां उन्हें ज्येष्ठ-श्रेष्ठ मुनिश्री समय सागर महाराज का ससंघ सानिध्य मिला, तो यह आध्यात्म का बीज और फल-फूलने लगा। आध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए अर्पित भैया ने वर्ष 2017 में रामटेक (महाराष्ट्र) में चातुर्मासरत आचार्यश्री से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया।
राघौगढ़ में व्यवसाय करने वाले उनके पिता अनिल जैन व माता मीना जैन के वे एकमात्र पुत्र हैं, जबकि उनकी एक बहन की शादी गुना में हो चुकी है। उन्हें पिछले दिनों ललितपुर में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने पंचकल्याणक महामहोत्सव के दौरान तप कल्याणक के मौके पर दस मुनिराजों के साथ जैनेश्वरी दीक्षा दी।
इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरे गुरुवर के पास कोई चला जाए, इससे बड़ी गौरवांवित करने वाली कोई चीज नहीं हो सकती। मेरा बेटा भगवान के चरणों में पहुंचा है, जो मेरे और परिवार के लिए बड़ी बात है।